प्रेम है क्या,, एक सांस किसी अहसास के लिए एक तड़प एक देह की आस के लिए अंतर्मन की वेदना एक रात्रि की प्यास के लिए सिर्फ एक चेतना दो आत्माओं का मिलन या कुछ समय का अकेलापन क्या है ये प्रेम।।
पुरानी ख्वाहिश को इस नई आस से मत तोलो, ये प्रेम की लिखाई है षड्यंत्रों से मत खोलो मेरे बचपने की छैनी से घड़े कुछ देवता जो कल मेरे लफ्जों पे मरते थे वो अब कहते हैं मत बोलो।।
नज़रों से नज़रे मिला ना पाऊं, तेरी नज़र का कुसूर होगा कई जन्मों से बुला रहा हूं, कोई तो रिश्ता जरूर होगा मुझी में रहकर मुझि से परदा, ये परदा उठाना होगा।