ये जो बढ़ी हुई मेरी प्यास है,
एक अलग सा एहसास है,
एक अनकही सी बात है,
कभी ना हुई जो, वो मुलाकात है।
ये जो धुंधली सी परछाइयां है,
कुछ और नहीं मेरी इच्छाएं हैं,
बढ़ जाती हैं तो भी 'काली' हैं,
और घट जाए तो भी 'काली' हैं।
ये जो मेरी आवाज है,
एक बेसुरा सा साज है,
बोलूं अगर तो भी गाली है,
और ना बोलूं तो भी एक गाली है।
ये जो तन्हाई है,
एक हकीकत सामने लाई है,
तुम साथ हो तो भी अकेले हैं,
और ना हो साथ, तो भी अकेले हैं।
-