Rohini Tiwari  
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Joined 14 June 2020


Joined 14 June 2020
5 HOURS AGO

दिल में छपी कान्हा एक तुम्हारी ही तस्वीर है
तुम्हारे इंतजार में ये मन भी राधा सा अधीर है

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15 AUG AT 23:22

आजादी के लिए
भारत माता के कितने वीरों ने दी कुर्बानी थी
आजादी के लिए
बही जाने कितनी ही खून की आंधी थी

आजादी के लिए
वीरों ने अंग्रेजों की सारी राहें मोड़ी थी
आजादी के लिए
अंग्रेजों की सारी जंजीरें तोड़ी थी

आजादी के लिए
भारत माता के वीरों ने सीने पर खाई गोली थी
आजादी के लिए
बच्चों ने जाने कितनी रातें भूखी गुजारी थी

आजादी के लिए
गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष जैसे वीरों लड़ाई लड़ी थी
आजादी के लिए
भगत, राजगुरु और सुखदेव जैसे सभी वीरों ने दी अपनी कुर्बानी थी

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15 AUG AT 21:41

भारत और हम एक है
हम अगर दिल तो भारती हमारी धड़कन है

भारत हमारा और भारत के हम हैं
जाति धर्म का भेद मिटा भाइचारे से जीना ही हमारा मकसद है

भारत और हम एक है
भारत पर हमारी जान भी कुर्बान है

भारत हमारा और भारत के हम हैं
भारत ही हमारी आन बान शान है

भारत और हम एक है
एक दूजे से ही हमारी पहचान भारत ही हमारा अभिमान है

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15 AUG AT 15:56

हाथों में थाम तिरंगा वंदे मातरम् मैं गाता हूँ
अपना लहू बहा भारत माता का कर्ज मैं चुकाता हूँ
सिर पर बांध कफ़न अपना हर फर्ज निभाता हूँ
हँसते खेलते देखो मैं वीरगति पाता हूँ

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15 AUG AT 15:44

देश का कोना कोना गूंजे जयघोष से, हर हाथ तिरंगा लहराए
धरा गगन सब सजे तिरंगे से, सारा वातावरण प्रफुल्लित कर जाए

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14 AUG AT 21:29

हर रोज हमे घर की याद आती है
घर मे की गई सारी बातें याद आती है
वो पुरानी मुलाकातें याद आती है
वो हंसती खेलती रातें याद आती है

माँ का आँचल याद आता है
पिता का कंधा याद आता है
बहन से बंधा रक्षा सूत्र याद आता है
दोस्तो से किया गया हर एक वादा याद आता है

हर रोज हमे घर की याद आती है
घर की दीवारें पर टंगी तस्वीरे याद आती है
आँगन में खिलते फूलों की सुगंध याद आती है
ठंडे आसमान तले बिछी चारपाई याद आती है

घर की याद हमें बहुत सताती है
कभी आखों में आंसू तो
कभी ओठों पर मुस्कान बिखेर जाती है
हर रोज़ हमें घर की याद आती हैं

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14 AUG AT 20:21

हसरत थी तुझे पाने की जो अधूरी रही
हर पुरानी आदत अब धीरे-धीरे छुट रही

इश्क की हर एक निशानी पीछे छुट रही
आवारगी मेरी अब धीरे-धीरे छुट रही

दरिया बहने लगा बर्फ पीछे छुट रही
जिस्म से जान धीरे-धीरे छुट रही

यादों की रात सुहानी पीछे छूट रही
जिंदगानी मेरी धीरे-धीरे छूट रही

हसरत थी मुझे पाने की जो अधूरी रही
मेरी कहानी मुझसे धीरे-धीरे छुट रहीं

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14 AUG AT 19:50

मुझे दर्द दे तू खुद मुस्कराता ही नहीं

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14 AUG AT 19:42

दर-बदर ठोकरे खाकर
घर की अहमियत समझ आई है
पहले टूटती थी मिट्टी की गुल्लक
अब जब दिल टूटा है
तो पुराने सिक्कों की अहमियत समझ आई है

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14 AUG AT 18:52

मेरे हर दर्द की दवा है तेरी बाहें
मुझे मंज़िल तक पहुंचाती हैं तेरी निगाहें

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