मेरी माँ को केक की जरूरत नहीं, ना उसे तोहफों की चाहत है।
मैं उसकी बनाई सब्जी की तारीफ कर दूं,
वो खुश हो जाती है।
जब कभी टाल दूं उसका कहा, वो हल्के गुस्से में जरूर आती है।
पर जब पैर छु कर मैं घर से जाता हूँ,
वो अपने लाल पर फूली ना समाती है।
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माँ का लाडला-
#39
समाज की इस दुनिया में असामाजिक तत्व बहुतेरे हैं।
पहचान कैसे हो पता नहीं, देखने में सब अपने से चेहरे हैं।
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
#41
मैं मानता हूं कि अक्सर ज्यादा डांट देता हूं।
पर मैं तुमसे नाराज नहीं होता हूँ।
फिक्र करता हूँ इसलिए मैं डर जाता हूँ।
पर रुला कर तुम्हें खुश नहीं होता हूँ।
तुम्हारी मायूसी से मैं मायूस खुद हो जाता हूँ।
चाहकर भी भाव अपने समझा नहीं पाता हूं।
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
#38
मैं अपनों की कुछ बड़ी गलतियां भी माफ़ कर देता हूं,
वज़ह ये नहीं कि मुझे गुस्सा नहीं आता,
बस दिल कह देता है कि,
जब गैरों को माफ़ किया जा सकता है तो
"ये तो फिर भी अपने हैं"
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
#37
पापा से अच्छा कोई दोस्त नहीं,
और माँ से ना अच्छी सहेली।
भाई से बड़ा है ना भरोसा कोई,
और बहन से ना अच्छी हमजोली।।
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
हिन्दी, संस्कृत छोड़ कर, अंग्रेज़ी के विद्वान बन बैठे।
अंग्रेजों से आजादी मिली और अंग्रेज़ी के गुलाम बन बैठे।
आजादी की आड़ में नेता, टुकड़े मेरे भारत के चार कर बैठे।
हमारे घर में पलने वाले, आज हम पर ही अधिकार कर बैठे।
जो भरता पेट है सबका, उस अन्नदाता को हम लाचार कर बैठे।
वादा किया था पोषण का, हम भोली जनता पर अत्याचार कर बैठे।
नाज़ था हमको अपनी संस्कृति पर, आज उसी का प्रतिकार कर बैठे।
नारी सम्मान में जलती थी लंका, आज अपनी इज्ज़त भी नीलाम कर बैठे।
जिस बात से खौलता था खून हमारा, आज खुद वही हर काम कर बैठे।
सोने की चिड़िया आज काठ की भी ना रही, धन दोलत हम अपनी विदेशों को दान कर बैठे।
"रोहन" चले थे विज्ञान पढ़ाने, और रचनाकार बन बैठे ।
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
मैं उनका हूँ गुरूर,,और वो मेरे अभिमान हैं,,,
मैं बालक बुद्धिहीन, और वो मेरे भगवान हैं,,,
गलतियां करना है आदत मेरी,
मेरी हर गलती को माफ़ करे इतने वो महान हैं,,,
भाई भी मेरे, दोस्त भी मेरे, रिश्ता बड़ा अनमोल सा,
दुःख दर्द वो मेरे जाने सब, ये देख विज्ञानी हैरान हैं,,,
~~रोहन वर्मा "पापा का कबूतर" — % &-
#32
दुशासन ही नहीं दुर्योधन भी मिलेंगे,
तुम कलाकार हो,
अपना किरदार तो निभाओ,
दर्शक ही नहीं रत्नाकर भी मिलेंगे,
है, लगाना आरोप बड़ा आसान,
जुल्म देखना भी है, आसान बड़ा
कभी बनो आवाज निर्बल की,
तुम्हारे झोपड़े नहीं, उनके सिंहासन भी हिलेंगे,
~~रोहन वर्मा "मास्टर भाई" — % &-
वो छोड़ गए दुनिया अपनी, कोई
थी साजिश वो, ना कोई कुर्बानी थी,
आंखें नम करके हम पढ़े शायरी,
क्यों नहीं आया गुस्सा तुम्हें, वो आंख जो लाल हो जानी थी,
तुम याद करना सिर्फ 14 Feb को इनको,
मैं ना भूलूंगा जीवन भर, उस बेटी को,
जिसने पापा के हाथ से रोटी खानी थी,
मैं भी सोया था भर पेट, और सोता रहूँगा,
तुम याद रखना इतिहास हमारा,
ना ये कोई परियों की कहानी थी।
~~रोहन वर्मा "सिर्फ आज का देशभक्त" — % &-
#30
हमने होंसला बढ़ाने के लिए,
उन्हें जीतने दिया।
और उन्हें अपनी ताकत का गुरूर हो गया।
हमें लगा हमारा झुकना
उन्हें भावप्रवणता सिखाएगा,
बस यही हमारी गलती और कुसूर हो गया।— % &-