Rohan Singh   (रोहन सिंह)
60 Followers · 12 Following

Joined 22 January 2020


Joined 22 January 2020
22 JUN 2022 AT 9:44

समय को समय बनाने में समय लगता है।
/अनुशीर्षक में/
/Caption/

-


8 JUN 2022 AT 10:18

हमारा पूरा जीवन हीं चुनौतियों और संघर्ष के बुनियाद पर रखा गया है।

ये असाधारण बात है के हम बिना जाने समझे हर पल चुनौतियों और संघर्षों से गुज़र रहे हैं। और इसे अपनी पीड़ा के रूप में समझने की भूल भी हम करते हैं।

पर ध्यान से देखा और समझा जाए तो ईश्वर ने बीज को पौधा बनाने के लिए भी मिट्टी के अंदर, उसके दबाव में पलने के बाद,धूप में पकने के बाद पौधा बनने का जरिया बनाया।

ईश्वर ने इस सृष्टि का सृजन ही चुनौती के बुनियाद पर रखा है। जो चुनौतियों और संघर्षों से सब कुछ पूरे होश में समझते हुए गुज़र गए वो पार लगे।

ये काफ़ी रचनात्मक तरीका, काफी एक्सपेरिमेंटल रूप से सृजन की क्रिया ईश्वर ने बनाई है।

-


9 JAN 2022 AT 16:17

तुमसे कुछ भी बताया ना गया,
मिलकर कुछ भी छुपाया ना गया
मिले बेकरार होकर सनम,
मिल कर भी ठीक से मिल पाया ना गया।

देखे ख्वाब बहुत से मगर,
ख्वाबों को हकीक़त में लाया ना गया
हुई इशारों में बातें बहुत,
उन इशारों के महज़ तुम्हें कुछ समझाया ना गया।

कुछ सोच होगी ज़िन्दगी की अलग,
जुदा करके भी हमें जुदा कर पाया ना गया
सुनाते रहे मुहब्बत में कुर्बानियों की कहानी हमें,
कहानियां कह कर भी हमें बदल पाया ना गया।

तुम थी वैसी हीं बौड़म बड़ी,
पर इश्क़ में तुम्हें और पागल बनाया ना गया
तुमने सीखी थी हिसाब किताब की बातें,
इतनी समझदार हुई की और तुम्हें समझाया ना गया।

इश्क में मोहरा चला था तुमने,
उन मोहरों के आगे तुम्हें और हराया ना गया
हार तो इश्क़ की जीत हुई,
तुमसे जीत की सनक में इश्क़ कर पाया ना गया।।

-


3 JAN 2022 AT 21:14

1/1/1
From hallucinations to reality.
The only thing which I was not calculative about was the variability.
I didn't judged the intensity and was not very thoughtful about the way things will be there.

Still not sorted..
Still not achieved..
Yet not serious..

But yes I am amazed and somehow accept the way things are coming.
All difficulties and happiness is accepted . But yes,thinking about that I was chosen for this destiny makes me strong.

Truly blessed to have decorated meals on my plate during these difficult times. But still a corner is filled with darkness of what is coming..

#BEWARE #

#not_to_be_understood..

-


3 NOV 2021 AT 18:18

आज इस चमक पे क्यूं बवाल हुआ
ये शहर आज क्यूं इतना बद हाल हुआ
लोगों ने शहरों के शहर फूंक दिए,
एक चिंगारी पर क्यूं इतना सवाल हुआ।

ख़ामोश धधकती तपन का ये,
क्यूं रूप आज इतना विकराल हुआ
जो शांत रहने की कोशिश में था,
वो आज दिये से क्यूं मशाल हुआ।

किसी ने ज़रूर कुरेदा है इसे,
जो आज जलाकर सबको ये निहाल हुआ
भीतर की ज्वाला समाई ना होगी,
जो बाहर आकर अपनों के लिए भी ये काल हुआ।

राख में मिलाकर शांति हुई इसे,
आज दर्शकों के लिए भी ये जंजाल हुआ
जो कारण बने इस उपद्रव की,
आज उन्हें भी तबाही देख मलाल हुआ।

लोगों ने कहानी गढ़ दी नई,
आज फिर ये गलतियों में नया मिसाल हुआ
मिट गई आज पूरी हस्ती कहीं,
आज फिर इस जगह सब लाल हुआ।।

-


2 NOV 2021 AT 16:24

ए रात के मुसाफ़िर तू चला कहां,
तेरी राह में अब दीप जलाए कौन

तू उलझनों में बेचैन तड़पता रहा,
ख़ुदग़र्ज़ ज़माने में तेरी मुश्किलें सुलझाए कौन

तू खोजा इन अंधेरों में कहीं,
लौटने का रस्ता अब तुझे दिखाए कौन

तेरी ज़िन्दगी दोराहे पे आ ही गई,
अब इस ज़िन्दगी का मतलब समझाए कौन

यूं अक्सर इन अंधेरे रास्तों पर कहीं,
किसी ठोकर पे तुझे भी मिल जाए मौन

या फिर मिल जाना इन अंधेरों में कहीं,
इन अंधेरों में अब सलाई सुलगाए कौन।।

-


30 OCT 2021 AT 2:31

राख़ बटोरे जाओ सनम,
ये राख भला है पीर से

तुम वक़्त के आगे हार गई,
और मौत ले गई उसे इस ज़ंज़ीर से।

-


27 OCT 2021 AT 3:21

है सुख दुख बाटें आप सा,
कुछ विचार उछले है भाप सा
राग तीरे माहिर हैं,
कुछ मर्म बटोरे हम राग सा।

तुम हो पुलकित सम्राट से,
ना हो महल के ठाठ से
तुम बढ़ो चलत अंधियारी में,
महज कुछ देर अंधेरा है श्राप सा।

विश्वास साथी बनी कबे,
तुम गिर जाओ वो जाए कांप सा
घमंड की बात सुनते ओ बीर
देख ये घमंड उड़े है पराग सा।

तुम करते काम मज़ाक महज़,
जीत आए ना हाथें प्यार सा
तुम रहो अपनी मौज में,
यहां मंज़िल का मेहनत सुहाग सा।

तोरे संग के सब पार भए,
रास्ते लगे तोहें अब पहाड़ सा
बातों से ज़्यादा काम सही,
जीवन परिश्रम बिन अंधकार सा।।

-


25 APR 2021 AT 23:55

हां ,
इस रात शमा बुझ जाने दे,
अब कल कोई सुबह ना हो
ना हो कोई सपना अब,
अब कोई हमसे जुदा ना हो।

किस दिन का इंतज़ार करता रहूं,
वो दिन आएगा जब हम मौजूदा ना हों
पड़ी रहेगी मिट्टी यहां पर,
और ज़िन्दगी में कोई हमसे रूठा ना हो।

चल पड़ूंगा उन रास्तों पर,
जिन रास्तों पर मुझ जैसा दूजा ना हो
जहां हो ब्रह्म खुद में पर्याप्त,
और घंटी बजाकर उसकी पूजा ना हो।

चला अब उस मयखाने की ओर,
जहां जाम के बिना कोई कंठ सूखा ना हो
हो पर्याप्त प्रेम ही केवल,
खाने को अब कोई गरीब भूखा ना हो।

रहेगी गति प्रकाश के समान,
अब कोई इंसान जैसा वहां नमूना ना हो
हो केवल बेहता एक प्रेम का सागर,
और लिखता रहूं एक कविता जो पूरा ना हो।।

-


23 APR 2021 AT 23:55

हाथों से चलते तलवार कब तक,
मुंह से निकले क्यों ज्वाला नहीं

सफेद पर स्याही जमती तब तक,
जब तक कलम में तेरे काला नहीं

हर चाल है हार की कोंख़ में,
जब तक बाज़ी दे शिकस्त निराला नहीं

बोले जो चीख चीख भीतर से तू,
फिर काहे मुंह पे बांधे ताला सही

राख मंज़र की साथी बने,
हर दिन तेरे जीवन में उजियारा नहीं

तेरे आस पास पलते हैं मतलब,
तू है हर किसी का यहां प्यारा नहीं

रोता तू भी है जुदाई के बाद,
हर कमी को स्वीकारे ऐसा कोई दिलवाला नहीं

धार पर खड़े तलवार की जो,
हंसता हुआ बढ़ जाए ऐसा कोई मतवाला नहीं

बन दिखा शहनशाह इस अंधेरे में तू,
हर किसी को मिलता यहां सहारा नहीं।।

-


Fetching Rohan Singh Quotes