हमारी ज़िंदगी में, इश्क़ का अध्याय काफ़ी छोटा था,
याद है वो मंज़र हमें , जिस रोज़ यह दिल भी टूटा था ।
पहली दफ़ा, उसे भीगे भीगे बालों को संवारते देखा था,
बस स्टेशन पे खड़े, उसे लम्हों को रोकते देखा था ।
हर रोज़ अब उसी जगह, उसका इंतेज़ार होने लगा,
शायद मुझे भी उन दिनो, थोड़ा थोड़ा प्यार होने लगा ।
महीने बीत गए, उससे हम बस यूँ ही देखता रहे,
उसे मुस्कुराते देख, हम भी ख़ुश होते रहे ।
बड़ी हिम्मत जुटा के, fb पे उससे Hi भेज ही दिया,
सोचा था जो, उसने औरों से परे जवाब भी दिया ।
फिर थोड़ी इधर उधर की बातें, थोड़ी उसकी अदाओं का वर्णन किया
कुछ देर बाद, क्या बातें करें सोच.. बात ही नहीं किया ।
अक्सर हमारी बातें सुन, हँस दिया करती थी वो,
कंधे पे हाथ रख, “तुम बहुत अच्छे दोस्त हो” कह देती थी वो।
बीच बीच में कुछ, यूँ सालो भर बात होती रही,
चाहने लगा था उसे, और वो अब सिर्फ़ दोस्त ना रही ।
पर उसके लिए तो आज भी हम, वही अच्छे दोस्त थे,
To be continued...
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