जला रहा हुं खुद को निश दिन
मैं आशा की चिंगारी से,
ऊब चुका हूं सचमुच मैं
अब जीवन की इस पारी से...-
तुम गीत लिखना, मै गाऊंगा
दोनों अमर होजाएंगे...
जला रहा हुं खुद को निश दिन
मैं आशा की चिंगारी से,
ऊब चुका हूं सचमुच मैं
अब जीवन की इस पारी से...-