कधीतरी तो दिवस नक्कीच येईल,
ज्या दिवशी माझ्याकडून शब्दांची योग्य जुळवाजुळव होईल
अन् तुला योग्य ते उत्तर मिळेल.-
बेशक है हम दूर एक दुसरे से
पर न दास्ताँ-ए-ज़िक्र जरुरी है..,
माना की है फ़ासिले तेरे मेरे दरमियाँ
पर हर वक़्त फ़िक्र जरूर है |-
धुंद अशा या सांजसमयी आसमंत नभांनी भरते,
कुंद अशा या वातावरणी सखे सय तुझी च स्मरते...
मग हरऊनी बसतो मीच स्वतःला ऐशा या समयाला,
मन नकळत होऊन पाचोळा तुझ्या सवे भिरभिरते..!-
कितने भी हो सवाल मेरे, बस जवाब तुम ही हो,
चाहे कीतने भी रास्ते तालशु मैं, मेरी मंजिल बस तुम ही हो ।
मैं जिंदगी में जो भी करू.., जैसे भी करू.., बस इतना याद रखना तुम,
मेरी शुरुवात भले ही कोई और हो... मेरा अंत बस तुम ही हो ।-
युं तो पहले भी हुए है कई लोग ख़फ़ा हमसे,
पर तुम्हारी खामोशी जितना किसी ने सताया नहीं है-
थोडी मोहलत मिले ए जिंदगी
फिर तुझे भी हम बताएंगे,
जितने सितम ढाए है तुने
सब एक एक कर के गिनाएंगे ।
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आज भी तुम पर आकर रुक जाती है सारी हसरतें मेरी,
तुम्हारी बस आवाज से ही जाग जाती है बेचैन रुह मेरी ।-
समझ नहीं आ रहा जिद्दी किसे कहा जाए..,
तुम्हारी आदतों को या तुम्हारी यादों को ।-
भरी बरसात के बाद मौसम में नया मिज़ाज छाया है,
आज बड़े अरसे बाद मेरा महबूब लौट आया है |-