Rohan Mishra   (रूह)
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बिखरते एहसासों को अल्फाजों से सजोता हूं |
Joined 13 March 2018


बिखरते एहसासों को अल्फाजों से सजोता हूं |
Joined 13 March 2018
30 MAY 2021 AT 13:30

जिससे प्रेम होता है, हम उसकी अनुपस्थिति में भी उपस्थिति ढूंढ लेते हैं।

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17 MAY 2021 AT 11:04

हम सबको पता होता है, हम मर जाएंगे, शायद कल या अगले ही पल। फिर भी हैं बेधड़क, बेपरवाह। इस बेधड़की, बेपरवाही को कहते है ज़िन्दग़ी।

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8 MAR 2021 AT 3:22

जब भी
किसी स्त्री से
बात करना तुम,

देखना उसकी
आंखों में,उससे
खूबसूरत विश्व में
कुछ भी नहीं।

स्त्री के आंखों में
भरा होता है
सकल ब्रह्मांड
भर का प्रेम।

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26 JUN 2020 AT 10:12

अगर
करना हो मुझे
प्रेम को परिभाषित
तो मैं कहूंगा,

उसका मुझमें
होना, मुझे पूर्ण
करता है ।

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23 JUN 2020 AT 3:35

अपने होंठों से जब मेरा नाम पढ़ती हो तुम
लगता है जैसे प्रेम शब्द को गढ़ती हो तुम

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9 JUN 2020 AT 6:53

ईर्ष्या होती है,
जब कोई तुमसे बात करता है
जब कोई तुम्हारा हाँथ पकड़ता है
जब कोई तुम्हारे लिए गीत गाता है

आनंद आता है,
जब तुम गुस्से में चिल्लाती हो
जब तुम घंटों बतियाती हो
जब तुम बच्चों जैसे खिलखिलाती हो

प्रेम ही
ईर्ष्या को आनंद में
परिवर्तित कर सकता है ।

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4 JUN 2020 AT 7:50

मुझे
इश्क़ है
उस इंसान से
जो रोज़ आइने में
मेरे सामने खड़ा होता है ।

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30 MAY 2020 AT 1:39

Everybody knows I love you, except you.

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28 MAY 2020 AT 5:51

तुम मिलोगी
किसी रोज़
फिर बताऊंगा
तुमको कि कितनी
प्यारी हो तुम,

उस रोज़
का इंतज़ार मैं
हर रोज़ करता हूं ।

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25 MAY 2020 AT 20:12

तुम्हे कैसे बताऊ कितनी ख़ास हो तुम
मैं ईद की सेवई, मेरी मिठास हो तुम

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