~ गरीबी से अमीरी ~
हां, बोतलों में ताले हैं,
घरों में बर्तन काले हैं,
खाने के भी तो लाले हैं,
देखो क्या ख्वाब पालें हैं:-
कि अंटीला सा महल होगा,
अदाणी सी कहानी;
राज शंखनीय होगा,
चाय भी अब पानी।
ना वक्त होगा सोने का,
हां, वक्त होगा सोने सा,
शरीर साथ देगा ना,
दुःख होगा साथ खोने का।-
जहां ले जा रही है ज़िंदगी, बस चलते जाना है
रास्तों में देखेंगे, आगे क्या होगा💫
-
मेरी आखिरी कलम
मैं अपनी आखिरी कलम से कुछ ऐसा लिखना चाहता,
जो ज़िन्दगी की वास्तिकता को दिखलाए,
जो अन्दर ही अन्दर गहरा सन्नाटा उत्पन्न करजाए,
जो किसी व्यक्ति को खुद से ही मिलाए।
शहर के शोर से दूर, रास्तों की तन्हाइयों में ले जाए,
पहाड़ों की ऊंचाईयों का एहसास कराए,
समुंद्र की गहराइयों में डुबाए।
मेरी आखिरी कलम में बात कुछ ऐसी हो,
कि शाम भी रात जैसी हो,
मौत भी ज़िन्दगी की सौगात जैसी हो,
ठोस दिल से लिखते शायर के जज़्बात जैसी हो।
कलम चाहे पहली हो या आखिरी,
लिखावट तो एक सार ही होगी,
बस आखिरी में खुशबू अनुभव और एहसास की होगी,
... एक नए सिरे के आगाज़ की होगी।
रोते-रुलाते, हंसते-मुस्कुराते, बात किसी खास की होगी,
मेरी आखिरी कलम में कुछ बात ऐसी होगी।-
मेरे एहसासों को अपने तक रहने दो,
तुम्हारी यादों के सहारे हर दर्द सहने दो,
अपने अल्फाज़ों का सुरूर, मुझे तुमसे कहने दो,
मुझे अपनी यादों में रहने दो।-
पता नहीं हाथ अपने-आप ही थक गए,
जो शब्द लिखना चाहता था वो अब छुप गए,
जाने क्या असर छोड़ा है इस दुनियां ने,
हम जहां थे बस वहीं रुक गए।😶-
तन्हा इन रातों में यूं सपने ना दिखाओ तुम,
सपनों से परे भी ना जाना चाहोगी।
तुम्हारे हर एक एहसास ने,
ज़िन्दगी से लड़ना सिखाया है मुझे,
मेरे प्यार के बिना,
घुट-घुट कर मरना चाहोगी?!-
Kismat bhi kya khoob rang laati hai,
Kabhi dhoop toh kabhi thand laati hai,
Jaagti hui aankho m, sapne dikhaati hai,
Aur kabhi kabhi unhi sapno ko choor choor kr jaati hai.-
ये महफ़िल, ये बातें, सब फेल हैं।
ये ताने, ये ज़िन्दगी, सब जेल हैं।
आशिक़ की गलियों से बेहतर समां क्या?
ये ज़िन्दगी ही साहेब, एक उलझा हुआ खेल है।
-
आज कल मुझे नींद नहीं आती,
अक्सर मेरा चैन खोया रहता है।
तेरी यादों के समंदर में ही,
ये इश्क-ए-साज़ खोया रहता है।-