बहुत कठिन रास्ते ही
अक्सर सही रास्ते होते हैं ;
सबसे कठिन चढ़ाईयां ही
सबसे ऊंची चोटी पर ले जाती हैं ;
बहुत कठिन लगने वाले संघर्ष ही
जीवन को आसान बनाते हैं ;
जीवन का यही सत्य है
बहुत कठोर जान पड़ने वाला व्यक्ति
अक्सर समेटे होता है
अपने भीतर
दुनिया भर की सरलता,
सहजता और प्रेम !-
कभी निखरा हुआ कभी बिखरा हुआ
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हंसना खुश होना नहीं है
और न रोना, दुखी होना ;
कभी कभी बहुत ज्यादा दुख
अपने साथ हंसी ले आता है
और बहुत ज्यादा सुख
ले आता है अपने साथ आंसू-
उस दिन हम क्या करेंगे जब,
पेड़ मांगेंगे अपने काटे जाने का हिसाब...
भविष्य मांगेगा स्मृतियों में बिताए
उसके हिस्से का हिसाब...
संभावनाएं मांगेगी
जोखिम न लेने का हिसाब...
और जब समय का हिसाब
मांगेगा जीवन...!
उस दिन हम क्या करेंगे ?-
वो बातें और सवाल
वो शिकायतें और जवाल
जो कभी कहे ही नही गए
बचा कर रखना उन तमाम ख़यालों को
क्योंकि. ...
...और फिर एक दिन मिलेगी तुम्हारे हिस्से की मोहब्बत तुम्हें !
अध्याय - एकांत
किताब - प्रेम
निर्देशांक अगले पृष्ठ पर...-
मैं सिसकियां भरता रहा रोने से पहले
चांद ओझिल हो गया सुबह होने से पहले
ये रात ये सितारे ये खामोशी सब गवाह हैं
तेरी याद आ चुकी थी नींद आने से पहले-
हिचकियां...
क्या होती हैं हिचकियां। मेरी मां कहती है जब हमें कोई अपना मानता है और सच्चे मन से याद करता है तो हमें हिचकियां आने लग जाती हैं।
मुझे हिचकियां क्यों नहीं आतीं ?
क्या मुझे कोई अपना नहीं मानता या फिर मेरा कोई अपना नही है या यूं कहें कि मुझे कोई याद ही नहीं करता।
हिचकियां आना दुविधा नहीं है, दुविधा है किसी का हमें अपना न मानना।
क्या कभी सोचा है जरूरी क्या है ?
हिचकियां आना या किसी का हमें अपनाना ?-
कभी कभी जीवन भी सर्दियों के जैसा हो जाता है। हर तरफ धुंध ही धुंध। जैसे सर्दी से बदन कांपने लगता है वैसे ही अतीत और भविष्य के बीच वर्तमान रोजमर्रा के उतार चढ़ाव से ठिठुर के शांत सा हो जाता है। भविष्य जैसे कोई घना कोहरा, लाख प्रयत्न करने पर भी सबकुछ धुंधला। इस सब के बीच वर्तमान से ताल मिलाते हुए चलना ही एकमात्र समाधान है जैसे ठंड में कांपते हुए शरीर को मिल जाए कहीं जलती हुई अलाव।
To be continued...-
सर्द ऋतु में पेड़ पौधे सिकुड़ने के बाद भी सूर्य के निकलने की प्रतीक्षा करते हैं और पुनः खिल उठते हैं।
घने कोहरे और धुंध के बीच कुछ न दिखाई देने पर भी जो लोग उसी रास्ते पर निरंतर आगे बढ़ते हैं वो मंजिल तक का सफर तय कर लेते हैं।
घनी काली रात होने के बाद भविष्य का अगला सवेरा प्रत्याशित न होने पर भी हम आंखे मूंद लेते हैं कि आने वाली सुबह बेहद खूबसूरत है।
आपको पता है इस सब में क्या कॉमन है -
विश्वास, आत्मविश्वास..
अपने आप पर भरोसा रखे, जीवन में द्वंद चल रहा है तो डट कर सामना करते रहें क्योंकि मंजिल तक पहुंचने का आपका सफर उस सुबह के मानिंद बेहद खूबसूरत है जिसे देख कर आप पुनः खिलखिला हो उठेंगे।-
तुम्हारी बिंदी..
तुम्हारी वो छोटी सी लाल बिंदी
जैसे आसमां में पूर्णिमा का चांद.. और कानों को सुनाई दे मधुर नाद
जैसे हो हृदय का भंवर, जिसमें डूब कर लगाऊं मैं गोते और जाऊं निखर
जैसे अथाह गहरा नीला समंदर.. जिसमें समाहित हो प्रेम अंदर ही अंदर
जैसे रूह का सुकून वाला क्षण और इश्क में हारने पर जीता हुआ रण
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तुम्हारी वो छोटी सी.. लाल बिंदी..-