जख्मो को बर्दाश्त करने की आदत है मेरी
हवाओ में चिराग जलाने की फितरत है मेरी
पथरीली राहों को कुचल चुका हु मैं अपने पैरों से
सुलगती रेत पर चलने की अब चाहत है मेरी-
रणदीप
(Abhi)
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कुछ बाते जो बताना जरूरी हैं।
Joined 26 September 2019
29 MAY 2022 AT 9:20
20 NOV 2021 AT 17:27
झुठ था मैं भूल गया उसे ये झुठ था,मालूम था उसे।
जो सो गयी वो उम्मीद-ए-वस्ल थी मैं सोया नही , मालूम था उसे।-
4 OCT 2021 AT 18:41
हर तमन्ना जब दिल से रुखसत हो गई,
यकीन मानिये फुर्सत ही फुर्सत हो गई...!!-
25 AUG 2021 AT 14:09
हर शख़्स दौड़ता है यहां भीड़ की तरफ़,
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले!!
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24 JUL 2021 AT 11:15
अफवाह फैला दो कि मुझे मशवरे की जरूरत है !
जरा देखें कि कौन कौन गुमराह करने आता है ।
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