आसमाँ तू ही बता फिर तेरे
इन उजालों का ख़रीदार कहाँ होगा
दिया जो चमक गया ज़मीं पर
फिर सितारों का बाज़ार कहाँ होगा-
𝗬𝗮 𝘁𝗼 𝗙𝗼𝗹𝗹𝗼𝘄 𝗵𝗶 𝗻𝗮 𝗸𝗮𝗿𝗲𝗶𝗻... read more
हाँ कुछ आदत हो गयी है अब
मैं फिर भी बाज नहीं आता हूँ
राह पत्थर बन के बिछे हैं धोखे
मैं जान कर भी ठोकरें खाता हूँ-
मुसाफ़िर मैं अकेला राह पर
बोलो तुम बिन किधर जाऊं
कुछ बिखरने सा लगा हूँ मैं
हाँ तुम कहो तो सँवर जाऊं
जाने किस मोड़ पे खड़ा हूँ
तुम जहाँ कहो गुज़र जाऊं
यूँ तो नज़र में नहीं किसी की
हाँ तुम कहो तो नज़र आऊं
हालात ही बिगड़े हैं मैं नहीं
ज़रा थाम लो तो सुधर जाऊं-
समझ ना पाया तेरी फ़ितरत क्या थी
जाने इस क़दर हमसे नफ़रत क्या थी
जब इश्क़ नहीं था ना कह दिया होता
यूँ बेवफ़ा हो जाने की ज़रूरत क्या थी-
मोहब्बत में तुम्हारी कोई सवाल ना रहे
रिश्ते की नज़रों में कोई मलाल ना रहे
इश्क़ ही तो किया है अब है तो है इश्क़
वो इश्क़ क्या जिसमें फिर बवाल ना रहे-
कोई काम नामुमकिन नहीं बस
एक ज़रा हौसला चाहिए
फिर तो हमारी उड़ान बता देगी
हमें जो फ़ासला चाहिए
हार लिखी शब्दकोश में जिसके
किसे वो मसला चाहिए
बस सोच का ही तो खेल है सब
उम्मीद भरा फैसला चाहिए-
दुनिया नहीं समझती ज़िन्दगी
नासमझ यूँ ही मर जाएगी
किसी की निजी संपत्ति थोड़ी है
छोड़ दर अपने घर जाएगी
जब तक लिखी है तभी तक है
गुजरते गुजरते गुज़र जाएगी
गले से लगाए रखना इसे यारों
हाथ छूटे तो ये बिखर जाएगी-