इश्क
तुमसे इश्क क्या हुआ, तू तो खुदा हुआ
शिकवा कोई नही था फिर भी मुझसे दूर हुआ
भीड़ तो है दुनिया में पर तुझसे ना लापता हुआ
अब किसी और की तो हूं पर तुझसे ना बेवफा हुआ...
कौन समझेगा मेरे इश्क को जो मुझे तूझसे हुआ
बेढंग और बेरंग सी थी , मैं जो तेरे रंग में राबता हुई
कई मौसम देखे मैने तुझ सा ना कोई दिल को छुआ
अब किसी और की तो हूं पर तुझसे ना बेवफा हुआ
साथ चल रहे थे कैसे पाव फिसला कौन पीछे हुआ....
कैसे भूल जाऊ वो सब, ये जो मसला मेरे साथ हुआ
याद तुझे भी आती होगी मैं तो तुझमें ही खोयी...
अब किसी और की तो हूं पर तुझसे ना बेवफा हुआ
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