ताबिश में बन्धे हर जर्रे से वफा की थी, हाँ जर्रे जर्रे से वफा की थी। तू भूल गया वफा को वफा से ताबिश करना, खैर चल कोई बात नही, वैसे कहाँ है आज कल ठिकाना तेरा।
जहर को जहर नही कहोगे तो क्या कहोगे, अपनो को खोकर भी पॉजिटिव रहोगे तो क्या रहोगे। इश्क-मोहोब्बत-दर्द-दवा-दारु सब बाद की बाते है, बाद में करेंगे। चिता मे खाक होकर खाख करेंगे। बादशाह तेरे जुम्लो ने कितनो की जान ले ली, तेरे जुल्मो का हिसाब हम आज करेंगे।
कभी किसी दौर पर मिले, तो पूछ लिया जायेगा, झूठ, फरेब, धोखे से क्या मिला। क्या कमी रह गई थी, जो तुने इस कदर तोड़ दिया मुझे, मेरे माँ-बाप ने बड़े मिन्नतो से पाया था, मुझे।💔