रजत सिंह   (कलम का सिपाही)
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think hard....
Joined 21 November 2017


think hard....
Joined 21 November 2017
3 JAN 2022 AT 15:22

ख्वाब देदो या साथ देदो 

मिल सको तो आके जवाब देदो ,

ख्वाब देदो या साथ देदो 

मिल सके तो आके आवाज देदो 

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2 DEC 2021 AT 21:39

मत मारो मुझे ।
मेरी क्या गलती है ,
मै भी एक नन्ही सी जान हूं ,
क्या हुआ अगर मै एक बेटा नही हूं ×2,
मेरा भी एक जहान हैं,
मुझे एक मौका तो दो ×2
ताकि मैं भी इस दुनिया को बता सकू की
मेरी भी एक नन्ही सी उड़ान है ,
मत मारो मुझे ।
में भी एक नन्ही सी जान हूं
मै ही लक्ष्मी मैं ही दुर्गा
मेरे से ही पूरा जहान है ,
फिर क्यों करते हो
मेरी पूजा तुम हर मुश्किल हर त्योहार में ,
मत मारो मुझे ,
मै भी एक नन्ही सी जान हूं।
मुझे एक मौका तो दो ×2
मै अपने से पहले तुम्हारा नाम करूं
में भी उड़ना चाहती हूं कल्पना जैसे
जो पूरे विश्व मैं भारत का नाम करूं ।
मत मारो मुझे
मैं भी एक नन्ही सी जान हूं ।

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27 NOV 2021 AT 21:43

हां नही हूं मैं ऐसा।
हां हां नही हूं मैं ऐसा
जो सबके साथ घुल मिल जाऊं,
हां हूं थोड़ा सा बेतरतीब
जो सबके साथ तरतीब से पेश आऊं,
नही हूं तुम सब जैसा निडर
डरता हूं क्न्ही कोई मुझसे ही कोई मुझे शीन ले ,
फिर भी सबका साथ देने मे यकीन रखता ,
हां नही हूं मैं ऐसा
जो सबका दोस्त बन सकूं
पर मैं खुश हूं जो मैं खुद के साथ हूं

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5 NOV 2021 AT 7:10

अक्सर मैने लोगो को अपने खाबो के पीछे भागते हुए देखा है ।
पर खाब पूरे हो जाते है पर ज़िंदगी अदूरी रह जाती है ।

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5 NOV 2021 AT 7:04

How a soldier celebrate the festival ?

When he see all the stories of their family friends
and see how they happy today
He wipe their tears and smile and ready for duty

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17 JUN 2021 AT 17:13

Those who change
How good is their friendship
Those who abandon
How good is their company
People say
I will fall in love again
But the love that happens again
How good that would be ?

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17 JUN 2021 AT 17:04

कोई ऐसा ढूंढो जो बुरे वक्त में साथ न छोड़ें,
बल्कि कस के हाथ पकड़े ।

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22 MAY 2021 AT 18:23

अगर आप भी रात को तारे देखते हो ,
और उनसे बाते करते हो ,
तो यकीन मानिए आप अकेले रहना सीख रहे हो।

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13 JAN 2021 AT 5:07

चुप्पी इतनी की गहरी होनी चाहिए की बेकद्री करने वाले की
चीखें निकल जाएं


The silence should be so deep that the one who does the disrespect
Scream out

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11 JAN 2021 AT 3:54

Pta ni kitne din ho gye puri raat soye hue,
Par phir bhi na toh koi thkaan hain na koi neend .
Pta ni kitne mahine ho gye apno ko deakhe hue .
phir bhi koi shikayat nhi hai tujh se rabb ,
Kyuki main ek shipahi hoon sangharsh karna mera parma dharma hai ,

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