कवि को पढ़ते हुए आज एक कविता पढ़ते हुए कवि को पढ़ने लगा कवि बार-बार कविता पढ़ा रहा था ठीक वैसे, जैसे मैं लिख रहा हूँ। अनारम्भात् वह गीता के पाठ का संदेश कर्मबन्धन और नियत कर्मों का कर्मचारी बना उड़ेल रहा था - त्याग और सफलता।
बहुत सोचने तक सोचा कि सुंदर चीज़ें सुंदर दिखे यह जरूरी तो नहीं!