हम एक ऐसे समाज में रहते हैं ,
जहाँ लोग रास्ते में परे दस रूपये को भी,
उठा कर जेब में रख लेते हैं
और कुछ किमती रिश्तों को,
दिल से निकाल फेकते हैं ||— % &-
इसलिए ज़िंदगी की राहों में अकेले खड़े हैं ।
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पीछे जो छुटा, वो शहर याद आता है.....
जिंदगी रेलगाड़ी जैसी हो गई....
पटरियां बदलते ही....
आगे जिंदगी का रास्ता बदल जाता है ||— % &-
किसी के घर की इतनी भी बुराई ना करे,
कि आपका आत्मसम्मान खुद के और सामने वाले के, नज़र में नीचे हो जाए ।।-
प्रेम और विश्वास को ज़िंदा रखिए,
कभी ना कभी असली हकदार जरूर आयेगा ।।
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सब हालात देखकर भी कुछ लड़कियां, लड़को की ज़िंदगी में आती है, उनके मन को कोमल बनाती, आँखों को सपने दिखाती है।
चार दिन का प्यार देकर, उनसे अच्छा मिल जाने पर,
लड़के के आत्मसम्मान को नीचे गिराकर, आखिर क्यों किसी और के साथ ब्याह के चली जाती है ।
अरे कोई ओलम्पिक मैडल दिलाओ इन्हें,
कुछ लड़कियां क्या खूब दिलों से खेलना जानती है ।
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इस दुनिया में सच्चा प्यार दिमाग़, दिल से करता है।
दिमाग़ जनता है, वो गलत है, फिर भी दिल की जिद्द और ख़ुशी के ख़ातिर ,दिमाग़ ठोकर खा लेता है।
अंत में दिल को दिमाग़ के दर्द का एहसास होता है।
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