पेड़ कट गए, पत्थर कट गए और कट गए है पहाड़
सुख गई नदिया सुख गए नौले,
और बंजर पड़ गए खेत खलियान,
घर लुट गए, गौं लुट गए लुट गए सारे घराट,
ये कैसा हो रहा है विकास
बोली हर्चि, गीत हर्चे, और गुम हो गए सारे संस्कार।
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नए सिरे से शुरू किए जा
पुरानी ज़िंदगी ।
कुछ तो तेरे मौसम ही मुझे रास न आए
कुछ मेरी... read more
मैं अब तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा ,
ट्रेन की तरह में गंतव्य की ओर निकल पढूंगा।।
तुम शायद आओगे उसी जगह पर दुबारा ,
मैं निकल कर फिर कभी नहीं मिलूंगा।
मैं अब तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा ।।-
कितना कहर ढाया करती हो,
जब तुम मेरे नाम से मुझे बुलाया करती हो।
जी चाहता है चूम लूं सारी धरती को
जहां जहां से तुम गुजर कर आया करती हो।
और मुस्कुरा उठती है सारी फिजाएं ये
जब तुम मेरी "मां" की साड़ी पहन कर
शरमाया करती हो।-
देळि म बैठि नजर धार म लगी होली
मा तु भी मेते याद कन्नि केनि होली,
तिथे भी होलु इतजार त मेरू घौर आणू कु
तू भी मेरी याद म रूणी होली,
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मिले वक्त तो आना मिलने कभी...........
जगह हमनें बदली नही कभी,
पार्क की वो खाली बेंच एक टूटा झूला
और इंतजार करता मैं सब मिलेंगे वही...-
अच्छा..! क्या तुम्हें याद है ?
जब हम बात किया करते थे
अज़ान और आरती एक साथ हुआ करते थे।
फिर मैं प्रार्थना तुम दुआ किया करते थे।
शायद कुबूल न हुई दुआ तुम्हारी
या शायद हम ही प्रार्थना झूठी किया करते थे।
क्या तुम्हें याद है जब हम बात किया करते थे ।।
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थोड़ा सा स्वार्थी भी हूं मैं,
क्योंकि मैं चाहता हूं,
तुम भी मुझसे प्रेम करो।।-
हम आज भी खामोश बैठे हैं
इन्तजार में उसके,
शायद वो आएगा लौटकर,
वो अलविदा न कह गया हमसे।।-