Jahan mukaddar milayega ab
Wahan milenge ye shart kaisi
Jahan mile the wahi humesha mila karenge ye tay hua tha
Humesha ek dusre ke haq me dua karenge ye tay hua tha
Mile ki bichde magar tumhi se wafa karenge ye tay hua tha!!-
Abki ham bichde to sayad kabhi khawabo mein mile! Jaise shukhe hue phool kitabo me mile! Tu khuda hai na mera ishq fariston jaisa! Dono insan hai phir kyon hizabo me mile!!
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फिर कुछ इस दिल मे खुमारी है!
सीना जो आए वो ज़ख्मकरी है !
फिर उसी बेवफा पे ऐतबार करते है !
फिर वही ज़िंदगी हमारी!-
सदियों तक लिखूंगी एक धड़कन की दास्तां, मेरी सांसो में आई अड़चन की दास्तां।। लोग बड़े होकर तरक्की में डूब जाएंगे, मैं बड़ी होकर लिखूंगी बचपन की दास्तां।। अब प्यार से तो दुश्मनी हो गई है ,मगर.. मुझे प्यार से लिखनी है दुश्मन की दास्तां।। और ,आपके हिस्से खुशियां आई मुबारक हो.... बाकी प्रेमी सारे जानते हैं किस्मत की दास्तां।।
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मोहब्बत मुकद्दर है... एक ख्वाब नहीं.... ये वो अदा है जिसमें सब कामयाब नहीं..... जिन्हें पनाह मिली....उन्हें उंगलियों पर गिन लो.... मगर जो फना हुए उनका कोई हिसाब नहीं।।।
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चादर में लिपटी सुकून की नींद को..उम्मीदों के बोझ से छोड़ना पड़ता है।!दो वक्त की रोटी के लिए साहब..सपनो को आंखो में ही तोड़ना पड़ता है ।कभी तो मेरी किस्मत का भी रंग बदलेगा..ऐसी अर्जी ऊपर सरकार को देना पड़ता है।।बदले में मिलेगा क्या, ये भी नहीं मालूम..जो भी मिले उसे खुशी-खुशी लेना पड़ता है।। गम की छत में रहना भला किसको पसंद..फिर भी अंधेरे से रूह को जोड़ना पड़ता है।।चादर में लिपटी सुकून की नींद को..उम्मीदों के बोझ से छोड़ना पड़ता है।।।
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तुम से इजहार ना किया तो ऐसा नही है की..
तुमसे प्यार ना किया,
झुका लेता हूँ नजरें तो ऐसा नही है की..
तेरा दीदार ना किया,
मैं भले नही हूँ करीब तेरे पर ऐसा नही है की..
तेरा इंतेज़ार ना किया,
कहुँ मैं चाहे कुछ भी ना, पर देखा तुम्हे किसी और के साथ,किसने कहा की..
मैंने इसपे ऐतराज़ ना किया!!-