Riyaz Ahmad   (Riyaz Ahmad)
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Joined 30 March 2020


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Joined 30 March 2020
22 OCT 2021 AT 23:20

अपनी हार से अब मैं आराम चाहता हूं...
हाथों में छाले और ना भरने वाला जख्म चाहता हूं।

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26 SEP 2021 AT 12:43

मेरे दिल सब्र कर ले, मोहब्बत अब नहीं होगी
कयामत आ चुकी है मुझ पर,कयामत अब नहीं होगी

उसे‌ अपना बनाया था , वो मेरी रग-रग में समाया था
बहुत बेदर्द निकला ये वक्त , के चाहत अब नहीं होगी

बेसुध है मेरा जीना ‌, इस मतलबी दुनिया में
मुझे सांसों की ऐ हमदम , जरूरत अब नहीं होगी

मेरे दिल सब्र कर ले, मोहब्बत अब नहीं होगी
कयामत आ चुकी है मुझ पर,कयामत अब नहीं होगी

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1 SEP 2021 AT 17:22

ज़ुल्म करती है बहुत, ये जिम्मेदारी और
समझदारी मुझ पर...
मैं सो जाऊं तो उठा देती है,
जाग जाऊं तो रूला देती है।

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11 AUG 2021 AT 8:23

खुद को खत्म करके , खुद को फिर से जिन्दा कर रहा हूं,
मुझसे कोई भी उम्मीद ना करें, ना मैं किसी से कर रहा हूं ।

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3 AUG 2021 AT 22:18

खुद को तोड कर कुछ इस तरह बिखराया मैंने,
देखो मैं टूट चुका हूं , दुनिया को ये दिखलाया मैंने।

टूटे ख्वाबों के साथ, दिखावे के लिए मुस्कुराता रहा मैं,
लोगों की तरह, खुद को भी झूठे वादों से बहलाया मैंने।

चौराहे पर , नदी की लहरों के पास तो कभी मस्जिद में,
अपने टूटे ख्वाबों को जगह-जगह पर बिखराया मैंने ।।

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27 MAY 2021 AT 19:03

भूलकर भी वो वक़्त भुलाया नहीं जाता,
दर्द इतना है कि ‌मुस्कुराया नहीं जाता,
बहुत से पहलु है मेरे किरदार के मगर,
एक भी किरदार ढंग से निभाया नहीं जाता ।

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25 MAY 2021 AT 20:51

चुपके चुपके रात में वो आँसू बहाना याद है,
मुझे हमारी मोहब्बत का वो नजराना याद है।
बार-बार तुम्हारी आंखों में देखना,
तुम्हारा मुझसे वो आँखें लड़ाना याद है।
मीठी मीठी छेड़ कर बातें निराली प्यार की,
मोहब्बत में तुम्हारा वो मुस्कुराना याद है।
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह,
मुझे हमारी मुलाकात का वो ठिकाना याद है।
जब सिवा मेरे तुम्हारा कोई दीवाना न था,
बताओ...क्या तुम्हे वो दीवाना याद है।

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21 MAY 2021 AT 21:36

हया से सर झूका कर यूं अदा से मुस्कुरा देना,
कितना आसान है तुम्हारे लिए यूं बिजली गिरा देना।

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18 MAY 2021 AT 11:46

तुम्हे लगता है, तुम्हे अब मेरी जरूरत नहीं है,
मुझे लगता है, मुझे अब मेरी जरूरत नहीं है।

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4 MAY 2021 AT 5:24

हम मिले ,
नज़रें झुकी ,
दिल में हलचल मची,
फिर नज़रें ऊपर उठी,
हम दोनों मुस्कुराये ,
और इश्क मुकम्मल हो गया।

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