रिया श्रीवास्तव   (रिया शैलारती)
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Joined 5 May 2018


Joined 5 May 2018

मंजिल की तलाश में किनारों से दूर हो गए
मझधार पहुंचे तो मालूम पड़ा मंजिल भी किनारा ही है

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Thoughts are like seeds, the more time and attention you put on them, the more they become big trees and start taking real form in life in the form of fruits. That is why we should choose our thoughts carefully that which one should make a tree and which one should not be allowed to grow.

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विचार किसी बीज के तरह होते है, इन पर जितना समय और ध्यान रूपी खाद डालो ये उतने ही बड़े पेड़ बन जाते है और फल स्वरूप जीवन में यथार्थ रूप लेने लगते हैं। इसलिए हमें अपने विचारो का चुनाव ध्यान से करना चाहिए की किसे पेड़ बनाना है और किसे उगने ही नहीं देना।

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आगे बढ़ने कि चाह में जो मैं घर से निकली
उस दिन घर ने भी मुझे खुद से निकाल दिया..

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लिखना तो बहुत कुछ चाहती है वो,
पर लिख दे तो अपने नाराज हो जायेंगें

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Irony of
messaging apps
now a days
is that
the number of groups
is almost equal to
all possible combinations
of group members 🤷🏻‍♀️

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इन दिनों समझ तो सबके पास है
पर समझते बहुत कम लोग हैं।

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Looking for water in desert 🏝️🏝️

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कोई अच्छी खबर सुनाना

किस्से तो हैं
अब भी तमाम
बसे यादों में
पर बच्चे फुरसत में नहीं
और नौजवान लगभग हड़बड़ी में
सुनाए तो किसे जिंदगी का फसाना
बूढ़ा बरगद क्यों न हो उदास
कोई बैठता ही नहीं उसके पास
जब आता है कोई बीमार-लाचार
तो सुनाने लगता है अपनी गाथा
जिसमें दगा और बेईमानी का शोर
होता है बहुत ज्यादा, इतना ज्यादा
कि धैर्य को भी होने लगती है घबराहट
बीच-बीच में वह आगंतुक को समझाता है-
भाई दुख से कौन बचा रह पाया है
अब चलो फिर आना, कोई अच्छी खबर सुनाना
हां, ठीक कहते हो-तेजी से बदल रहा है जमाना...

- शैलेंद्र शांत

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कभी-कभी शब्दों से ज्यादा खामोशी बोलती है

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