सुकून था अगर नदियों के किनारे ,
तो खामोशी भी बेख़ौफ़ घूम रही थी ।
अकेले रहने की चाहत सालों की थी ,
लेकिन लम्बी लम्बी बाते भी तो करनी थी।-
हम तो खुद के नहीं हुए ,
और जो होने लगा प्यार खुद से,
तो लोग हमे भूलने लगे,
और भूलते भूलते न जाने ,
हम उनसे खफा और वो हमसे दूर हुए ।-
कितनो का दिल दुखाया जाए
झूट बोलना भी ज़रूरी है ।
करवाहट अपनी किसको अच्छी लगी है
कभी तारीफ भी उनको सुनाया जाए ।
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कर लो चाहे कितनी भी खिदमत अपने कहलाने वालों की
अकेले रहने का गम भला कभी कोई जुर्रत की भूलने की
डर होता है लोगों के बाजार में अकेले होने की
लेकिन बेच कर खुदको कोशिश नहीं की जाती उनको हसाने की-
No one will be enough for you.
Rainy road and so many pot holes
I will come with an umbrella, like I was before
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सुबह फिर मुस्कुराना है,
कितनी भी कर लो कोशिश
दिन तो बस अकेले ही बिताना है,
फिर आएगी रात और बहस
समझा लेना खुद को ये कह कर ,
रात भर का तमाशा है
सुबह फिर बेमन मुस्कुराना है।-
एक तरफ और एक तरफा
समझना और समझाना
शामिल होना और शामिल करना
सब एक है ,
क्योंकि तुम ही हो इनमे बस और साथ कोई नहीं।
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जैसे हो प्यार का वो आखिरी साल
तमाम की गई साथ होने की कोशिश
उसका एक आखिरी परिणाम
लाख कोशिश भूलने और भुलाने की
जैसे की हो गुलाब ने अपने सूखने की
दोनो को हुई तकलीफ याद जो आई
कैसे खिले हुए थे हम होने से तुम्हारे ।
दोनो है बंद अपनी यादों के साथ
मैं और तुम्हारा वो आखिरी गुलाब ।-
तो हरकतों में भी लाओ ।
चुप रहकर बैठे कब तक सुनोगे कहानी
एक प्यारी सी अपनी भी बनाओ ।
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