किताबो में गौर फरमाए , नतीज़ा कुछ खास नहीं था खुद से नाराजगी भी थी नतीज़ा कुछ खास नहीं था औरों को पास बुलाया नतीज़ा अभी भी वही था सोचा कुछ कमी है शायद नतीज़ा अभी भी नहीं था ख्वाहिसों को याद करना चाहा तो अब हम ,और हमारा नतीज़ा नहीं था
Say sorry and smile at them... Fight and cry to yourself ... It's your fight , it's your choice to be emotional , it's your choice to be alone ... It's you only you, the warrior...
कैद हैं हजारों असमंजस अंदर , क्यों न एक बार प्यार से सुलझाया जाए, सुनने की कोशिश तो काफी कर चुकी , अब क्यों न खामोशी से उनको सुनाया जाए । एक एक तूफान सी उठती है ,जो दफन थे सालों से दिल में क्यों न अब उन्हें भी ,तन्हाई के लोह में जलाया जाए ।