माना खो दिया तुमने, जो बहुत ही प्यारा था
यकीं मानो गगन का वो, बस एक सितारा था
मिलेगा एक दिन तुमको, चाँद आगोश में अपने
जब खड़ा होगा पक्ष में वक्त, जो तब न तुम्हारा था!-
ख्वाहिशों के परिंदे को ज़रा उड़ान भरने दो
ज़मीं पे बहुत ठहरे ज़रा आसमान चुनने दो
©रिया अग्रवाल-
कहते हैं.. बांटने से बंट जाते हैं दर्द
पर कुछ दर्द..
सिर्फ ठहरना जानते हैं.. बंटना नहीं!
©रिया अग्रवाल-
आंसू.. इंसान होने की निशानी हैं
लड़की होने की नहीं..
लड़का होना.. इंसान होना ही है
कुछ अप्राकृतिक होना नहीं..-
बड़े नादान हो साहब गर यहां दिल लगाते हो
समझदारों की गलियों में चैन अपना गंवाते हो
अक्ल वाले क्या जानें, मुहब्बत की कवायद को
फक्त फायदे से जुड़ते हैं, उनके हर इरादे तो..-
उनकी मुहब्बत पाने की हर तरकीब हमारी नाकाम हुई
ए खुदा.. सब ले लो, पर कह दो.. जा! जीते जी जन्नत तेरे नाम हुई-
कुछ कह जाएं या चुप रह जाएं
या आज भी, सब सह जाएं
गर दिखा दिया, सत्य का दर्पण
कहीं रिश्ते ना ढह जाएं..-
तुम हो तो रंग हैं जीवन में, तुम्हें देख हम मुस्काते हैं
तुम छू लो जो नैनों से, हम फूलों से खिल जाते हैं
घुल जाता है मेरी सांसों में जब, इत्र तुम्हारी सांसों का
सूखे दरख़्त को ओ साजन, मधुमास तब मिल जाते हैं..-
शब्दों को क्या तोल रहे.. तुम नैनों को टटोलो ना
खामोशी भी चीखेगी.. तुम बाहों में भर लो ना-
कभी लगता है कि..
एक दिन मेरे ही हो जाओगे तुम
मगर..
देखती हूं, बहुत करीब आकर..
किस सलीके से अपना हाथ खींच लेते हो तुम
हां.. शायद समंदर की लहर हो तुम
हां.. शायद एक किनारा हूं मैं-