Ritz   (adhuri_si_kahanii)
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Joined 25 October 2017


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30 MAR AT 16:18

लिखावट में हर एक हिसाब है,

गौर से पढ़ो, ये मेरी ही किताब है।

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30 MAR AT 1:03

मुझे तुमसे कुछ छुपाना नहीं है,

दर्द जब जब दिया, बता के अब, जताना नहीं है,

तस्वीर, आज भी है दिल में तुम्हारी, मेरे लिए ये पुराना नहीं है,

समय है, इसे क्या कहूँ, तुम्हारी तरह ये भी चला जाएगा,

मेरा पास अब भूलने के अलावा कोई बहाना न्ही है।

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29 MAR AT 23:59


खाब लिखूँ या दर्द से निकले अल्फ़ाज़ लिखूँ,

लागता है कि तय पहले ही था,

तुम्हें जाना था और मुझे बस तुम्हें पाना था।

सोच रहा हूँ कि अब इसी इंतज़ार में एक किताब लिखूँ।

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29 MAR AT 16:53

मुझे एहसास होता है तुम्हारे होने का,


जब अकेला होता हूँ और मन करता है रोने का।

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29 MAR AT 16:22


टूट चुका हूँ मैं, अब रोको ना।

जब से उसने कहा, जाने दो मुझे, ये बार बार टोको ना।

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19 FEB AT 22:47



Sometimes “No”Answer

Is the best answer..



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5 JAN AT 0:33

पसंद किया किसी और को,
अब कैसे किसी और का,
इश्क़ से करूँ मज़ाक़!

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10 NOV 2024 AT 10:35

वो पल, वो बीता हुआ कल,
वो रास्ता, वो गली आज भी अपनी सी लगती है।
वो मोड़ पे तेरा इंतज़ार, दिल मिलको को बेक़रार,
वो तुम्हारा साथ चलना, वो बिन बोले ही तुम्हे समझना!
जो भी था अच्छा था, मेरा प्यार तुम्हारे लिए सच्चा था!

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13 JUL 2024 AT 0:31

किसी से क्या अब वफ़ा का वादा करूँ,
अब तो मैं ख़ुद का ही ना रहा।

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12 MAR 2024 AT 22:47

काश वक़्त रुख़ जाता उस मोड़ पे,
जहाँ से उसने छोड़ के जाने की बात कही!

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