Ritviz Singh   (अंजान)
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एक ख़ामोश सा अफसाना है
जो तुमको सुनाना है.......
Joined 8 March 2020


एक ख़ामोश सा अफसाना है
जो तुमको सुनाना है.......
Joined 8 March 2020
8 DEC 2022 AT 21:44

इक तेरे होने के एहसास से ज़िंदा हूं मैं
लोगों को लगता है कितना पेचीदा हूं मैं

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20 MAY 2022 AT 22:46

Kabhi yun bhi ho mere khwaab me
Ek lamha mujhe tu nawaz de
Mujhse meri raat tu maang le
Mujhe apni neendein tu udhaar de

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10 MAY 2022 AT 10:17

कुछ इस तरह से गुज़र रही है जिंदगी अपनी
तू भी कई दिनों से नहीं रूठी और मैंने भी शिकायत नहीं की

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27 MAR 2022 AT 0:40

रूठ जाने का सबब बन गया हूं मैं
सूखे पत्तों सा बिखर गया हूं मैं
तुम मुझे ज़िंदगी से न मिलाओ
अंदर-ही-अंदर मर गया हूं मैं
नहीं होना मुझे रौशनाई से रूबरू
स्याह अंधेरे से पूरा भर गया हूं मैं....

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6 MAR 2022 AT 14:46

कलेजा चाहिए इश्क़ में खुद को मारने के लिए
यूं तो कई हैं दुनिया में जो दीवाने बने फिरते हैं

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22 JAN 2022 AT 23:20

आख़िर उनको ख़बर लगती भी तो कैसे
हमने कभी किसी से कुछ कहा ही नहीं
हो सकता था कि शायद उन्हें भी मोहब्बत हो
कमबख्त हम थे कि हमने उन्हें कभी सुना ही नहीं

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7 JAN 2022 AT 12:42

कुछ अधूरा रह गया है इस अफसाना-ए-उल्फत में
जो तुमसे कहना चाहते थे वो दिल में है आज तक

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31 DEC 2021 AT 10:06

दिसंबर की आखिरी रात है अब आ भी जाओ
कहीं ये सर्द हवाएं मुझे लेकर न चली जाएं
कहीं ऐसा न हो वस्ल-ए-शब की ख्वाहिश में
कि तुम आओ तो हम कुछ कह न पाएं

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31 DEC 2021 AT 9:42

जो समझता था कि खो गया हूं यहां भीड़ में मैं
महफ़िल जब खत्म हुई थी तो पास कोई ना था

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4 DEC 2021 AT 22:09

जो मैंने चाहा वो मिला नहीं
मुझे इस बात का गिला नही
सैकड़ों घर हैं जल चुके
एक हम जले तो कोई मस़अला नहीं

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