RITVIK RAI   (tanuj kumar rai)
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rairitvik6@gmail.com
Joined 18 May 2019


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5 FEB 2022 AT 1:15

हम पीजड़ों के अंदर हैं,
दिल है कितना पत्थर
लाचारी पसरी
हर आंगन में|
मुट्ठी में है बधकर
देखो दर्पण हंसता है
चेहरो पर क्या हैं मंजर
मुश्किल में जब लोग पडे
बदले उसके तेवर
दामन में है सर को पकड़े
तन्हाई का मंजर!
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5 FEB 2022 AT 0:52

फूलों की पंखुड़ियों पर तितलियां विचरण करती बसंत के मौसम में आनंद तथा उमंग से फूलों का रसपान करती — % &

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3 FEB 2022 AT 0:35

तुम्हारे जाने के बाद भी
तुम आते जाते रहे हो
मेरी नज़्मों में...
सागर की लहरों की तरह

कहानियों में मिलते रहे हो
हंसी में घुलते रहे हो
आंसुओं में बिखरते रहे हो
और उठते रहे टीस की तरह
.......हर दिन हर क्षण...
तुम्हारे जाने के बाद ....— % &

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28 JUN 2020 AT 10:42

रास्ता भटक गया हूं दो कदम साथ दे दो चल कर देख लेंगे यादें कुआं है कि खाई दिखाएं रास्ते पर तो वह चलते हैं जिनको रास्ते का पता नहीं हम वह बंदे हैं जो अपना मार्ग खुद चुनते हैं बस एक कदम साथ तो चल कर देखो

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15 JAN 2022 AT 1:20

बहोत खूब सूरत है मेरा सनम,
खुदा ऐसे मुखेड़ बनता है! कौन
उठी है जो शर्मिली
कजरारी आखें,
जो सूरज की लव भी शरमाने लगी है, गिरा है जो सर से लहरा आंचल
मजा इन दिल कश नजरों का आने लगा है.

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11 JAN 2022 AT 23:12

Be thankful to the bad things in life. For they open your eyes to the good things you weren't paying attention to before.

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10 JAN 2022 AT 21:41

कुछ दिल के अल्फाज हैं, इसे अपना ना समझ लेना जो गमों के सहारे हमने दिल में छुपाए रखे हैं, इसे अपना ना समझना
बहुत चोट खाई है, दिल पर इसे मलहम से ना समेटना
जो घाव लगी है दिल पर उसे खंजर से ना कुरेदना

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1 JAN 2022 AT 8:54

🌸🌸🌸🌺🌺🌺नए वर्ष 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं एवं अनंत बधाइयां। 💐💐💐💐 मैं कामना करता हूं की नव वर्ष आपके जीवन में सुख, समृद्धि, प्रगति और खुशहाली की नई सौगात लेकर आए। आपके मान,पद, प्रतिष्ठा, आरोग्य और यश में वृद्धि हो। आप के घर-परिवार, में शांति व प्रगति की मंगलकामना के साथ अपेक्षा करता हूं कि आपका स्नेह, सहयोग और सानिंध्य हमें सदैव मिलता रहेगा🌺🌺🌺🌸🌸🌸🙏🙏🙏

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28 DEC 2021 AT 19:47

Ritvik

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28 DEC 2021 AT 19:13

बरसों पहले मुंशी प्रेमचंद की एक उक्ति कहीं पढ़ी थी कि- “या तो कुछ ऐसा लिख जाओ कि सारी दुनिया उसे पढ़े, या फिर कुछ ऐसा कर जाओ कि सारी दुनिया उस पर लिखे |"
इतिहास गवाह है कि लिखने वालों की तुलना में ज़मीनी तौर पर काम करने वालों ने ही समाज में मूलभूत बदलाव लाये हैं | लिखने वालों का अपना एक सॉफ्ट कॉर्नर होता है जिससे वे आलस और प्रमाद के चलते बाहर निकलना नही चाहते या आरामतलबी की लत की वजह से निकल ही नही पाते |
वैसे भी भारत में पढ़े लिखे लोगों की संख्या कम है, और समझदारों की तो और भी कम | लिखे वाले परफेक्शन तलाशते रह जाएंगे, करने वाले आधे अधूरे से शुरुआत करेंगे, परफेक्शन को गरज होगी तो आयेगा | लिखने वाले बतकुच्चन करते रह जाएंगे, करने वाले बाजी मार ले जाएंगे |

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