Rituraj Singh   (ऋतुराज ♛)
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Jharkhand
Insta-Mr._branded755
Joined 11 May 2019


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29 JAN 2022 AT 12:47

जिन जख्मों पे तूने मलहम लगाया हैं
आज फिर उन्ही जख्मों की शुरुआत हो गईं ।।

उस रात तूने मुझसे झूठ कहा और उस रात ही
हमदोनो की आखिरी बात हो गईं ।।

ना जाने कितने सपने सजा रक्खे थे मैंने तेरेसाथ
और जब आंखें खुली तो तू किसी और के साथ हो गईं ।।

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4 JAN 2022 AT 21:13

जिस चौराहे पर अपने प्यार का इज़हार किया था
उसी चौराहे पर अब तेरा इंतज़ार कर रहा हु ।।

जो रातें कभी हम दोनो की बेतुकी बातों में गुज़र जाती थी
आज उन्ही रातों में उन बातों को याद कर रहा हु ।।

और तेरे प्यार का बुखार मुझपे इस कदर छाया हैं
की कभी तो तू मेरी बाहों में होगी बस इसी
ख्वाब मे , मैं तूझसे आज भी
बेशुमार प्यार कर रहा हु ।।


ऋतुराज ♛





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22 DEC 2021 AT 23:22

आने वाले साल में खुद को ज़रा बदलने का इरादा कर रहा हु
अब दूसरो से नहीं खुद से प्यार थोड़ा ज्यादा कर रहा हु ।।

किसी रोज़ मेरी याद तो आएगी तुझे उस वक्त तेरी
आंखों में बस आसू होंगे तुझसे मैं ये वादा कर रहा हु ।।

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4 DEC 2021 AT 21:27

काफी दिनों बाद ये कलम उठा रहा हु
तू काफी दूर हैं न मुझसे , बस साथ
बिताए उन लम्हों को पन्नो पे पिरो रहा हु ।।

जीने की चाहत और लिखने की तमन्ना
दोनो को काफी पीछे छोड़ आया हु मैं
बस उन आदतों को फिरसे अपना रहा हु ।।

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2 AUG 2021 AT 23:27

मैं बैठा हु खामोश मगर मन में चल रही हैं
बस वो लाख बातें तुम्हारी ।।

चाय के कुल्हड़ को लगा रहा हु होटों से
और पता नहीं क्यों आरही है बस यादें तुम्हारी ।।




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1 AUG 2021 AT 22:28

लोग समझते हैं रिश्तों की
गहराइयों के लिए हर रोज़ बातें ज़रूरी हैं ।।

रिश्ते जो बन चुके हैं , वो टूटे ना लोग
समझते है इसके लिए हर शाम मुलाकातें ज़रूरी हैं ।।

रिश्ते कोई पौधा नहीं जिसे हर रोज़ पानी की ज़रूरत हो

चाहने वाले के चाहत में अगर कमी ना हो ना
तो उस रिश्ते के लिए बस यादें काफ़ी हैं ।।



- ऋतुराज ♛





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6 MAY 2021 AT 21:36

मोहब्बत को लेकर मेरे पेहलू अलग थे
मैं कुछ और ही सोचता था ।।

लोग जीने मरने की कसमें खाया करते थे
और मैं उन्हें पागल समझता था ।।

मोहब्बत मैं भी तुमसे बेहद करता हु
बस इज़हार करने मे घबराता था ।।

तुम्हे पाने की चाहत काफी दिनों से थी
बस मैं कुछ बातो को दौहराना नहीं चाहता था ।।


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3 MAY 2021 AT 1:03

जब चाहु तब तुमसे मिल नहीं सकता
मगर तुम्हे याद तो कर सकता हु ।।

इतने नज़दीक होकर भी काफी फाजलें हैं
खुदा से एक फरियाद तो कर सकता हु ।।

और अगर बात हो तुम्हारी खूबसूरती पे
तो सच मानो मैं तुम्हारी खूबसूरती पे
पूरी एक किताब लिख सकता हु ।।

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3 APR 2021 AT 0:01

मैं बस चाहता हु काश एक शाम ऐसी हो
जब तुम मेरेसाथ नहीं मेरेपास हो ।।

मैं अपने जज्बातों को बया करू
और मेरे हाथो बस में तुम्हारा हाथ हो ।।

रोज़ की उलझनों में पूरा दिन निकल जाता हैं
कभी मैं तुम्मे उलझ जाऊ काश एक ऐसी रात हो ।।

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30 MAR 2021 AT 23:55

हद से ज्यादा उम्मीद करने पे
तकलीफ होना तो लाज़मी हैं ।।

तुमहे मुझसे बेहद इश्क हैं
शायद ये मेरी गलतफयमी हैं ।।

मैं तुम्हारा इंतजार करू और तुम
खुद की महफिल में मशगूल रहो
ये तो खुदगर्जी हैं ।।

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