ऐसी क्या गलती थी मेरी , जो उम्रभर की यूँ सजा मिली ।
तुझको खुदा माना, फिर भी मुझे यूँ तेरी बद्दुआ मिली ।
और जब ख़ुद को मिटाकर तुझको ज़िंदगी दी, तो मुझे मौत भी बद् से बद्त्तर मिली ।-
वीरानीयत से दोस्ती कर ली ।
दुनियावालों से रवानगी कर ली ।
सुकून फिर भी ना मिला ।
अपनों से दूरियाँ कर ली ।
ख़ुद से बंदगी कर ली ।
सुकून फिर भी ना मिला ।
अब मन भर सा गया है ।
मासूम दिल टूट के बिखर गया है ।
मायूसी को हक़दार बनकार सुकून ना सही ठैराव तो मिला ।
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काश के कोई gadget मिल जाए ।
मेरी feelings तुझ तक पहुँच जाये ।
तू U turn लेकर मेरे पास वापिस आ जाये ।
और हमारी life फिर से together हो जाये ।
पर फिर सोचती हूँ ऐसे thoughts मेरे दिमाग़ में कैसे आए ।
अब नहीं चाहिए तू वापिस , मेरी life बस last breath तक कैसे भी करके निकल जाये ।-
तेरा यूँ दगा देना , मेरा साथ छोड़कर मुझे अकेला करना तेरी फ़ितरत थी ।
और आज भी तेरी राह तकना,तेरे झूठे वादे पर एतबार करना मेरी ज़िद थी ।
अब थक कर टूट गई हूँ ,आख़िरी सांस की मोहताज हो गई हूँ ।
तेरी वापिसी की आस में , पत्थर से रख हो गई हूँ ।-
कैसी सदा है के तुम जाने का नाम ही नहीं लेते ।
पर हर वक्त मेरे ज़हन में रहकर भी आप मेरे ख़ास नहीं होते ।
हों भी कैसे के आपके ज़हन में तो ना जाने कितनों के ख्याल होंगे ।
हम तो सिर्फ़ एक हर्फ़ हैं ,वहाँ तो शायरियों के लश्कर होंगे ।-
कितने बरस हो गए तुमसे बिछड़े हुए ।
क्या दिवाली, क्या रौनक सभी मुझसे दूर हुए ।
तूने थामा जबसे किसी और का दामन ।
मेरे दिल और जज़्बातों के तार तार हुए ।
एक कदम ना बढ़ाया हमने ।
जहाँ थे बस वहीं से फ़ना हुए ।
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ज़िंदगी के मायने कब समझ आएँगे , हम तुमसे ना जाने कब उभर पाएंगे ।
अभी तो और बेइज्जत होना है , ये कोई और नहीं सिर्फ़ मेरे ख़ुद के जज़्बात समझ पाएँगे ।-
हम दूर हैं , हम अकेले हैं पर इस हम में सिर्फ़ मैं शामिल है ।
तूने जहाँ हाथ छोड़ा था ,हम अब सिर्फ़ वहीं के मुसाफ़िर हैं ।
दिमाग़ का क्या है ये कहता है चल आगे बढ़, पर दिल अब भी दिमाग़ पर भारी है ।-
मुझसे दूरी करके वो खुश है , याद में तो हम उनकी ,रोज मरते हैं ।
कोई पूछे उनसे जाकर, के क्या वो हर रोज़ हिचकियों से सफर करते हैं ।-
किस संगदिली से तूने साथ मेरा छोड़ा।
के हर ज़र्रा इस नाकाम मोहब्बत पर रोया ।
हम तो बढ़चढ़ कर तेरे क़िस्से बयान करते थे ।
पर तू तो तन्हा रूह को तार तार कर चला ।
अब ना किसी पर एहतराम करेंगे के सच्ची मोहब्बत माशूक़ के पैरों तले रौंदी गई है ।-