Ritu Verma   (Ritu Verma)
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Joined 26 November 2021


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7 HOURS AGO

हमारे देश में लोगों को स्वयं के मूल्यांकन
करने के अलावा बाकी सारी दुनियां के
लोगों की निजी जिंदगी पर विचार करने की फुर्सत हैं।

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16 HOURS AGO

जब शोर आसपास बस स्वार्थ का हो
तब सन्नाटा अच्छा लगता है,
जब हर पल कोई समझने से ज्यादा
समझाने में लगा हो तब
सन्नाटा अच्छा लगता है,
जब हजारो की भीड़ में अकेलापन महसूस हो
तब उस हर पल में सन्नाटा अच्छा लगता हैं।

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25 APR AT 19:34

जीवन में हर बार सभी चीजों को
समेटकर रखना अच्छा नहीं होता है..
कभी-कभी कुछ चीजों को
बिखर जाना ही अच्छा होता हैं ।

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25 APR AT 18:04

दो रास्तों के मुसाफिर कभी
मंजिल को पाया नहीं करते है,
अक्सर वो भटक जाते है
दो रास्तों की सफर में।

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23 APR AT 22:52

ठहरा हुआ कुछ था ही नहीं कभी
हम गलतफहमियों में ठहरे थे
रुक से गए थे हम कभी
और लगा कि सारा जमाना
ठहरा हैं।

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23 APR AT 15:57

अंजाम से बेखबर मै यूँही
रास्ते पर बेखौफ चल पड़ी थी..
शायद मै भी कल कि कोई परवाह
करना नहीं चाहती थी....
बस बिना सोचे-समझे
मै बस आज में जीना चाहती थी
पर अचानक एक दिन जीवन में
एक ऐसा मोड़ आया..
जहाँ धुंधली सी पर्दा जो मेरे आँखों पर
अब तक पड़ी थी..
वो न जाने कब एकाएक यूँही उतर गई
और सारे रास्ते पल में पूरी तरह से साफ़ हो गए..
सही-गलत का अन्तर करना
अब मैंने भी तय करना सीख लिया...
और अब मैं भी खुद को पहले से
कुछ और बेहतर समझने लगी थी..
क्या सही क्या गलत इसका फर्क
मैं अब बखूबी समझने लगी थी।

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23 APR AT 15:20

जब साथ होकर भी
साथ न होने का एहसास होने लगे तो
तो एक होने का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
जुबा से एक होने कि बात सिर्फ कहकर
रिश्तों में जुडाव है कि बात न दिखाई दे तो
ऐसे रिश्तो का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

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18 APR AT 23:33

जब अंतर्मन के सारे भावनाएं
मन से ऊपर उठ जाएंगे
क्रोध मोह लोभ ईर्ष्या
सब से ऊपर उठ जाएंगे
तब हम मोक्ष में यूँही रम जाएंगे।

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11 APR AT 11:25

जब इंसान के अन्दर की सारी
भावनाएं समाप्त हो जाती है
तो वो सभी से संतुष्ट हो जाता हैं।

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10 APR AT 0:27

खुद से ही संघर्ष चल रहा
खुशी का तो मालूम नहीं पर
किसी भी चीज का
दुःख मनाने का समय
शेष नहीं रहा।

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