तेरे इश्क की इक दास्तान लिखी जाएगी,
उसमें मेरी पहचान आशिक लिखी जाएगी,
तेरे मर्ज़ की वाजिब वजह भी ढूंढी जाएगी,
जो मिल गया उन्हें तेरे हाल का मरहम,
उसको बेपनाह तवज्जो भी बक्शी जाएगी...
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कुछ चेहरों से नक़ाब ऐसे निकले कि,
जिन्हें देख दिल की सारी हसरतें मिट गईं...
कुछ दर्द दिलों पर ऐसे उभरें,
जिन्हें महसूस कर जीने की आरज़ू ही मिट गई...
न लफ़्ज़, न ख़ामोशी, न बेचैनी, न सुकून,
न तमन्ना, न बगावत, न हुस्न, न इबादत,
ग़म की हर शब ऐसी गुज़री कि,
इश्क कामिल हो मेरा, ये बात ज़ेहन से मिट गई...
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Around you I found my life, you were the
Kaleidoscope of my thoughts.
Shining brightly in the stormy night,
Healing the scars, making me might.
Alas! The truth is not yet uttered,
Though,your memories are now cluttered.-
मैं तो सफ़र में ही उलझा रहा,
उसने मंज़िल को हासिल कर भी लिया...
ख़्वाब दिखाया था इक झूठा,
उन तक में शामिल ना किया...
हर शख़्स पूछता है महफ़िल में,
कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब हमारा...
और एक वो हैं जिन्हें
है पता सच - झूठ सब,
पर किसी से ज़ाहिर तक न किया...
कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब (condition of restlessness)
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Sound of rain
And your presence,
Calms my mind &
Holds my heart.
In the shade of your love
New life emerges.-
An evening spent with her but she
Uttered no words
The truth holds her hand
Unless she decides to walk alone
Managing to meet her new hopes
No matter where does she go.-
वाक़िफ था तेरी बेवफ़ाई से मैं,
अब तन्हा रह कर संवर रहा हूं मैं...
हरसिंगार के फूलों सा निकला मेरा किरदार,
क्यूंकि तुझसे बिछड़ कर निखर रहा हूं मैं....
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स्त्री...
आख़िर क्या अस्तित्व है उसका ?
क्या पैमाना है उसके स्त्रीत्व को मापने का ?
है कोई जवाब, मेरे चंद सवालों का ?
अगर वो कम कपड़े पहने तो चरित्रहीन,
पर पुरुष की ओछी नज़रें सिर्फ अनुशासन विहीन...
ऊंची आवाज़ में वो बोले तो है असभ्य वो नारी,
किसने ऐसा करने का, तुम्हें (पुरुष) बनाया अधिकारी ?
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तुम्हारा होना ज़रूरी है...
रू-ब-रू ना सही पर ख़यालों में,
जवाबों में ना सही पर सवालों में,
रात की तन्हाई में ना सही पर दिन के उजालों में...
हां, तुम्हारा होना ज़रूरी है...
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प्रेम कभी अकेले नहीं आता।
वह आता है~
कभी अपने साथ सुख का आंचल लिए,
तो कभी दुःख का बादल लिए...
वह आता है मिलन की ऋतु बन कर,
तो कभी वियोग का दंश बन कर...
वह आता है प्रेमी के स्पर्श में लिप्त होकर,
और चला जाता है नियति के आगे विवश होकर...
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