Ritu Sharma   (शब्दों की इनायत)
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Joined 5 March 2023


Joined 5 March 2023
22 MAY AT 20:35

गलत इल्ज़ाम लगाना
फितरत है उनकी
जब देखो कटघरे में खड़ा रखते हैं
खुद से सवाल किया करते हैं
खुद से जवाब भी दिया करते हैं
वकालत उनकी कटघरा उनका
इल्ज़ाम उनके सज़ा भी उनकी
हम तो सिर्फ सबकी सुना करते हैं।

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22 MAY AT 20:30

मैं जो हूं वो तुम्हें दिखती नहीं
जो तुम समझते हो मुझे
वैसी मैं हूं नहीं।

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21 MAY AT 14:27

तुम्हारा इम्तिहान लेती है



जिंदगी जीना सीखा रही होती है।

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20 MAY AT 8:25

ब्लैक एंड वाइट सी है जिंदगी
बस भ्रम में ही चल रही है
कौन सच्चा है कौन झूठा ?
बस भ्रमित ही कर रही है।

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20 MAY AT 8:22

हो जीवन में खुशियां ही खुशियां
ग़म का कहीं नाम ना हो
जो चाहो वो मिले तुम्हें खुशियां
किन्तु परन्तु का काम ना हो।

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18 MAY AT 10:15

है ये कैसा सफ़र
जितना सुलझाने की कोशिश की
उतना उलझते चले गए।

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18 MAY AT 8:46

खुद में खुद को तलाश रही हूं
क्या तलाश मालूम नहीं है
तलाश जारी है अभी
किसको तलाश रही हूं
कुछ भी पता नहीं है
बस तलाशना है
खुद को खुद के अंदर।

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18 MAY AT 8:40

कैसा ही जमाना है ये
भावनाओं की कोई कीमत नहीं है
जेब में पैसा हो आपके
तो लोग भी हाल चाल पूछते हैं
वरना कोई जिए या मरे
कोई फर्क ही नहीं पड़ता।

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18 MAY AT 8:37

दुनियां बहुत बदल गई है जनाब
यहां मनाया भी उसी को जाता है
जिसकी जेब में पैसा हो
भावनाओं का तो कोई
मोल ही नहीं रह गया है।

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15 MAY AT 8:32

आज का सुविचार
कभी से भी बहुत आशा
नहीं रखनी चाहिए
क्योंकि याद वह पूरी ना हो
तो आप टूट जाते हैं।

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