भगत प्रहलाद भी धनवान,खुद को ही बताते हैं,
धन संचय बड़ा करने को,श्री हरि गुण वो गाते हैं,
बना षड्यंत्र श्री प्रहलाद हेतु होलिका द्वारा
भगत प्रहलाद को श्री हरि स्वयं आकर बचाते हैं
जगत के साथ रंगों को चलो मिलकर सजाते हैं
खुशी और गम के अरसो को सभी मिलकर बिताते हैं
लहर है आज खुशियों की जगत में देख लो जाकर
की होली आज भारतवर्ष में हम सब मनाते हैं
चहल है आज गांवों में महकता आसमां भी है
गुजरती टोलिया गलियों में और उत्साह काफी है
डूबा लो रंग में खुद को मनाओ आज होली तुम
दिल में प्रेम और विश्वास का ही रंग काफी है-
बस यूँ समझ लीजिए कि
' नये शब्दों को आह्वान हर बार देता हूँ,
और जो दिल ... read more
क्या खूब लिखते हैं आप,
खंजर से लफ्ज़ो को दिल की नजातक से क्या महफूज़ लिखते हैं आप,
सागर की गहराई में जाकर शंख की शाख से धूप लिखते हैं आप,
क्या खूब लिखते हैं आप.
I really appreciate your marvelous words.
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मंजिल का जज्बा इन चिटियो से जानो,
हर ऊंची जगह जो दिखती है, इन्हे वहा पहुंचना है।-
वो और मै, हमारी ज़िन्दगी हाईवे रोड जैसी हो गई,
हम साथ साथ तो थे, मगर एक दूसरे के विपरीत दिशा में..-
ना वफ़ा का ज़िक्र होगा,
ना दगा की बात होगी,
अब तो मुहब्बत जिस से भी होगी,
टीकाकरण के बाद ही होगी,🤣😂
ना तो फिर कॉरोना होगा,
ना ऑक्सीजन की बात होगी,
अब जिस लड़की का वैक्सीनेशन हुआ होगा,
वहीं बाइक पर मेरे साथ होगी,😂🤭🤔-
कभी किसी दिन झगड़ा हुआ था उस से,
बरस बीत गए , बात नहीं हुए अभी तक,
ना उसने कुछ किया था, ना मेने कुछ कहा था उस से,
पर शायद उस रात जैसी रात नहीं हुए अभी तक,
इन चार सालो में कभी नहीं सोचा बात करूंगा उस से,
पर उसके अलावा किसी से ऐसी मुलाकात नहीं की अभी तक-
Your philosophy is bullshit, until you hit bull's eye.
@ravi Kumar rathore-
और तू हमराही है खुद से खुद के रास्ते का,
फिर बाहर की दुनिया को देखता क्यों है?-