जो नही है काबू में उस पर क्या मलाल करे,
क्यों बैठकर बेवज़ह ही कल पर सवाल करे,
काफ़ी कर लिए है ज़िन्दगी में हिसाब किताब,
क्यों ना आज में रह कर आज को ही खुशहाल करे।।।
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कौरा✍
insta- shabdmanthn
लिखने की फ़िराख में,
कलम से किताब में,
चले है हम रफ़्तार में,
खुद को सवार ने।
मन में एक डर लिए,
दरबदर भटक लिए,
अपनी ही रफ़्तार में,
चलते चलते संभल लिये।
अँधरे ने डराया है,
अज़ीब तूफान आया है,
पर वक़्त की रफ़्तार ने,
रास्ता सही दिखाया है।
लबों पे ख़ामोशी है,
थोड़ा दर्द भी काफ़ी है,
ज़िन्दगी की इस रफ़्तार में,
खुद से मिलना बाकी है।-
कहने को तो तुम्हारे यार बहुत है,
हमें छोड़ कर सभी खास बहुत है,
बातों का सिलसिला बहुत कम है हमारा,
पर तेरी आवाज में छिपा सुकून बहुत है,
तुम्हारा नाराज़ होना पसंद नहीं मुझे,
तुम्हें मनाने में लगाया मैंने प्यार बहुत है,
तारीफ़ करूँ तो भी कितनी तुम्हारी,
सुनाने को मेरे पास यादें बहुत है,
मेरी कहानी कुछ खास तो नहीं लेकिन,
हर पन्ने पर तुम्हारा जिक्र बहुत है,
मेरा साथ रहना तुम्हें गवारा नहीं शायद,
पर हाँ आज भी मुझे तुमसे प्यार बहुत है।-
सिक्के की खनक छोड़ कर तुम कहा सुस्त नोट की फ़िराक में दौड़ रहे हो,
सुकून तो कच्चे मकान में भी है, कहा महल की इमारत ख़ोज रहे हो।-
दुखों की चादर कुछ यूँ हटाई है,
सुहाने मौसम ने आस जगाई है
अब मुस्कुराने की बारी आई है।-
मिलों दूर चलना अभी बाकी है,
थक कर रुकना अभी बाकी है,
कुछ हिसाब अब भी बाकी है,
थोड़े ख़िताब लेना भी बाकी है,
हाँ ज़िन्दगी...
जंग जारी है हमारी,
कुछ ख़्वाब देखकर उन्हें पूरा करना बाकी है,
मंजिल के करीब तो पहुच गए है हम,
पर उसे चुम कर...
सफलता का जशन मनाना अब भी बाकी है।-
सुनो ना..
ख़्वाब है..आजादी का मन में,
कहो तो उड़ जाऊ
या..सदा के लिए बंध जाऊ?-