Ritu Miglani  
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IT professional, Poet & Writer, Plant and Music lover,Art lover
Joined 16 July 2021


IT professional, Poet & Writer, Plant and Music lover,Art lover
Joined 16 July 2021
27 APR AT 6:52

बिन मौसम वाली बारिश
बारिश की कुछ बूंदें थी, आखों के काजल को मिटा लेगयी!
यह बिन मौसम वाली बारिश है, आंखों को भीगा ले गई. अक्सर यूं होता है जब बात कुछ क्षण की होती है,
यूं ही अगले दिन बारिश कुछ इस कदर होती है!
मत कहना चांदनी रातों में चांद को ना निकलने को,
मत कहना बरसात के इन बादलों को ना गरजने को...

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24 APR AT 19:16

चांद सितारों से
समझते है जो इशारे दिलों के
तकते हुए मीलों से

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24 APR AT 15:59

"रिश्ते"
अक्सर इस जीवन में,
दिल जाते हैं हार!!
पर यह होता है...
कभी- कबार नहीं होता यह हर बार!!
हर तरह के रिश्ते में...
अपनेपन का खुमार,
मिलने जुलने का इंतज़ार,
नोक झोंक थोड़ा प्यार।
किताबों में जैसे होता है इज़हार...
नहीं होता असल जिंदगी में ऐसा प्यार!
क्योंकि रिश्तों की बुनियाद...
होता है विश्वास।।

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24 APR AT 9:01

Kabhi ugte Suraj ko pakkad leti hoon
Toh lagta hai sukoon...
Mere din yun hi Khali hote hain
Iski tapish se thoda jee leti hoon main....

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20 APR AT 6:10

राख
सुलगते अंगारों से बन रही थी राख
मिट्टी में ही मिल जाने को
बिखरते ख़्वाबों की राख
दम तोड़ते अरमानों की राख
टूटे दिलों की राख
हारे हुए राहगीरों की राख
सुलगते अंगारों से बन रही थी राख
मिट्टी में ही मिल जाने को
धरा ने भी आंचल फैला लिया था
मां के आंचल सा
कुदरत के रोने की आवाज़ थी शायद
एक और बादल गरजा था शायद
सब बारिश में बह जाने के लिए
सब संतुलन में लाने के लिए

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20 APR AT 5:42

जिंदगी का पाठ
कुछ इस तरह समझाती हूं रोज़ाना दिल को...
कुछ बात कर के,
कुछ नजर अंदाज़ कर के,
कुछ जंग कर के,
कुछ समझौता कर के,
पूरा तो नहीं ...
आधा ही सही!!
जिंदगी का पाठ सीखा देती हू...
खुद को....

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19 APR AT 12:38

फ़र्क
फ़र्क बहुत है हम दोनो में...
तुम होश में रहते हो और दिमाग से जीते हो।
मैं ख्वाबों में जीते हूं और दिल से सोचती हूं।
तुम चुप रहकर सारी बातें कर लेते हो...
मैं सारी बातें करके भी कुछ नहीं कहती हूं।
तुम जज़्बात दबा लेते हो...
मैं आखों से सब बयान कर देती हूं।
तुम अपने होने का एहसास दिलाते रहते हो...
मैं हर वक्त तुम्हारे साथ ही रहती हूं।
तुम रोब से हक जीता लेते हो...
मैं तुम्हें वह हक भी दे देती हूं।

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9 APR AT 7:44

फकत सोचने से ही यादें बन जाएं
ऐसा कुछ कायनात करे तो हम खुशी मनाएं

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9 APR AT 7:26

"वजह"
कागज़ के पन्ने खाली पड़े है...
अल्फाज़ की कमी नहीं!
ना ही जज़्बातों की!
बस मन नहीं करता कलम चलाने का...
और मन नहीं करता आपने आप को मनाने का!!
शायद इंतजार है किसी के आने का??
या गम है बारिश के जाने का??
कोई तो वजह होगी इस दिल के अलम का??
मैं पूछती रोज़ आपने आप से..क्या मिजाज़ है आपका??

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5 APR AT 8:01

समुंदर के किनारे
हर वक्त परभाषित हो रहे है
लहरों का आना जाना लगा रहता है
तुम जिस किनारे की तलाश में हो
शायद वो कल बह गया हो

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