Ritu Lakhtakia  
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Joined 30 May 2018


Joined 30 May 2018
12 JUN AT 8:39

कयामत तक साथ चलेंगे सोहबत के लिए

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3 MAY AT 22:24

माना कि इश्क इकतरफ़ा, एहसान नहीं
ठुकराए गये इस कर, बचा अभिमान नहीं

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1 MAY AT 22:55

चुनिन्दा भटके हुए ख्याल;
जो कागज़ पर उतर आयें
उठेंगी उंगलियाँ और सवाल;
लुकछिप ये खेल खेलें
ख्वाब-महफ़ूज़ रखें सम्भाल;
खुफ़िया खज़ाने की होगी कहां
ऐसी नायाब मिसाल...

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28 APR AT 21:05

तेरी आँखों की कशिश से बहा उन्माद का दरिया...

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28 APR AT 20:54

नटखट बचपन के खेल
अल्हड़ यौवन के मेल;
भद्र-पचपन का भार
अधेड़-सांझ सांसों का सार;
खुशी, चुलबुल की लहर
क्रोध, लोभ, द्वेष का ज़हर;
कामयाबी का जुनून
इन्सानियत का खून;
इन आँखों ने गवाही दी है
वक्त की पारसाई की है...

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28 APR AT 7:13

खुदाई की मोहर-ए-खास, जन्नत का ठिकाना
ज़िन्दगी की रूह-ए-आब, शायरों का फ़साना
प्यार, बेताबी की इन्तिहा, नायाब खज़ाना...

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24 APR AT 21:49

तितर-बितर उसकी हरकत;
तमतमाते गाल, थर्राती ज़ुबान
घबराई नब्ज की करें शिरकत;

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24 APR AT 9:21

धरती पर सैलानी

मुकद्दर है पैदाइश का
धरती पर बने सैलानी
किसी की किस्मत में गुरबत
किसी का राजमुकुट अभिमानी
हिम्मत-ए-मरदां हिम-चोटी फ़तह
कमज़ोर डूबे चुल्लू भर पानी
सूरमा मानव-भविष्य उज्जवल करे
निर्बल मनुष्य की फ़ितरत आनाकानी
सैलानी जीवन का है ये सबब
राजा, रंक या रानी...

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22 APR AT 21:47

जन्नत के चारागाह पे इन्सानियत लहू-लुहान,
किस मज़हब की है कुर्बानी, किस खुदा की शान?
शर्मिन्दा वादियां, शर्मसार श्मशान...

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17 APR AT 22:50

मतवाला निबाह

चांद हुआ गुमनाम,
चांदनी भटके गुमराह;
कालिमा की शाम,
सितारे भरें आह;
समन्दर का जाम,
मौज-लबों की चाह;
इस प्यास का नाम,
मतवाला निबाह;

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