कविता
हँसेगी वो, जब तुम हँसने लगोगे,
रोने लगेगी, गर ये मन उदास होगा,
हसीन होगी, जब तलक तुम जवां रहोगे,
गमगीन, जब मन वृद्ध होने को होगा,
होगी पहेली, जब तुम उलझे देखोगे,
निश्चल नदी बनेगी, जब बूँद बनने की तैयारी होगी,
और हो जाएगी खुदा उस दिन, जब सिर्फ दृष्टा रह जाओगे,
उस दिन फूटती धारा सागर में मिल जायेगी !!
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