सुकूँ मिला चलो ये जानकर
कोई किसी का सुकूँ छीनकर
आजकल बड़े सुकूँ मे है!
Ritu jain-
Ritu Jain
(Writer myself)
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Joined 24 September 2017
6 JAN 2022 AT 22:45
20 MAY 2021 AT 13:54
औरत
औ- ओजस्विता,औरो से अलग पहचान रखने वाली
र- रमणीयता, हर रंग-रूप मे रंगने वाली
त- तेजस्विता, त्याग - तपस्या की मूरत
वो है औरत जिससे चलती है ये श्रष्टि|
जय जिनेँद्र 🙏
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29 JAN 2021 AT 1:05
महोब्बत
तु मुझसे दूर है
क्योंकि हम मजबूर है
मै किसी और की हू
और तेरा हमकदम भी कोई और है
Ritu jain-
20 OCT 2020 AT 0:08
काली अंधेरी रात
जिसमे आसमां की चादर मे लिपटा,
हल्की सी उम्मीद की रोशनी मे
डरा, सहमा सा हर कोना,
हर गली, हर शहर चुपचाप जैसे
Ritu jain-
17 OCT 2020 AT 23:29
एक इंसान दो तरह के लोगो की ही सब बाते चुपचाप सुन और मान लेता है और हार जाता है
एक वो जो दिमाग से पागल आवरा है
और दुसरा जिसके प्यार मे पागल दिल आशिक आवरा है 😝😅
Ritu jain-
15 OCT 2020 AT 23:58
एक रब और दूजा दुआ हो जैसे
हम दोनो है ऐसे
दोनों आँखे हो जैसे
Ritu jain-
11 OCT 2020 AT 0:39
कभी ना छूटने वाला साथ है ऐसे
साँसों का जिंदगी से रिश्ता हो जैसे
Ritu jain
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