Ritu Bhal   (ऋतु)
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जो भी है
बस दिल से है
Joined 21 December 2017


जो भी है
बस दिल से है
Joined 21 December 2017
2 SEP 2022 AT 23:03

जिंदगी की race में
कुछ पाने के लिए
कुछ अपना बनाने के लिए
कभी थक जाते है,
कभी रुक जाते है
पर ढोड़ना नहीं भूलते
हर कोई लगा है अपनी-अपनी दौड़ में
जहाँ ना कोई winner है ना कोई looser

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21 AUG 2021 AT 2:52

भोला सा तो दिल है
जो भी इसे समझना चाहे
उसे ही चाहने लगता है
फिर जाने अंजाने
खुद को तकलीफ़ देने लगता है
भोला सा तो दिल है
जिसे चाहने लगता है
उसे ही पाने की दुआ कर बैठता है
भोला ही तो है
जो टूट कर भी
हमेशा जुड़ा रहता है
मुस्करा कर भी
दर्द सहता रहता है

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23 JUL 2021 AT 19:57

एक अंजाना सा एहसास
दिल में दस्तक देने लगता है
उसे अपना बनाना लगता है
फ़िर से उस भोले से दिल को बहलाने लगता है
दिमाग बार -बार कहता है उस अंजान दिल से
की जनाब अब तो संभल जाओ!
क्यों तुम हर बार खुद से दग़ा करते हो?
दिल है ही ऐसा
क्या करें !
जब तक उसकी याद में पलके नम ना हो
साथ उसका छुटने का गम ना हो
वो एहसास सच्चा कहाँ!!

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27 APR 2021 AT 16:55

तुम्हें पुकारता -भारत

ना जाने क्या हो रहा है
क्यों सब खो रहा है
एक दूसरे को भूल
सब खुदगर्ज़ जो हो रहे हैं
ना जाने क्यों
हम मिलकर इंसानियत का गला गोट रहे है?
क्या यही मेरा देश है ? मेरा भारत ऐसा तो नहीं था
हर मुश्किल के सामने जो खड़ा रहे सीना तान वो था मेरा भारत
हर घड़ी जो पूजे अपनी मिट्टी को
आज वहीं की मिट्टी थक गई है सबके शव ढ़ो- ढ़ो
पुकार रही है हमें
पर मेरे देशवासी तो बस अपना ही घर सजाने में लीन है
नम है मेरा भारत आज
कहता है तुमसे
बाहर आओ इस राजनीतिक तर्क-वितर्क से तुम
और संभालो मुझे
मेरी इस लाल माटी को सुनहरी कर
जुट जाओ सब एक साथ सीना तान
झुका डालो हर मुश्किल को
एक साथ कदम बढ़ा
मुस्करा जाओ सब
क्योंकि तभी तो हम गर्व से कह पाएंगे की
यही है "हमारा" भारत

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25 MAR 2021 AT 23:27

किस्मत का खेल

जो चाहा
वो किस्मत ने देने से इनकार किया
जो मिला
वो दिल ने मानने से इनकार किया
कब तक यूँही चलता रहेगा?
कब ये मन ठहरेगा ?
ये दिल मानेगा और क़िस्मत मनाएगी
आखिर कब तक ये दिल क़िस्मत से लड़ टूटता ही चला जाएगा
कब ये मन ठहरेगा और जो मिला उसे चाहने लगेगा


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16 MAR 2021 AT 0:45


ना जाने क्यों टकरा जाते है वो
उन अनजान राहो में
बँध जाते है जो एक दूसरे से
खो जाते है कहीं
वहीं उनकी मीठी स्वप्नों की दुनिया में
जहाँ से लौटते-लौटते खो देते है स्वयं को
ना जाने क्यों टकरा जाते है वो
उन अनजान राहो में

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13 JAN 2021 AT 1:29

प्रेम है
जो कहीं खो गया
दर्द है
जो ढल गए
गम है
जो मिट गए
आँसु है जो
सुख गए
रूं है जो
कहीं खो गई
मगर
हमने स्वयं को पा लिया
अपने दिल को खोलकर
उस प्रेम को खोकर



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19 DEC 2020 AT 0:56

कभी लगा नहीं था की हम यूँ कभी अलग हो जाएँगे
सोचा था हर लम्हा साथ बिताएँगे
खूब सारी बातें किया करेंगे
अनबन होगी पहले जैसे
पर मान जाया करेंगे
सोचा था साथ निभाएगें
वो पल कभी फिर याद ना आएंगे
क्योंकि हम साथ जो रहेंगे
साथ जो रहेंगे

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12 DEC 2020 AT 21:53

की तुम जा चुके हो
ये दिल है कि
वापस आता ही नहीं
ये जानते हुए भी की
अब तुम और मैं हम न रहे
ये दिल है कि
मानता ही नहीं
ये जानते हुए भी की
अब वो किस्से है समेटने
वो टुकड़े है जोड़ने
ये पलके फिर भी एक आस संग बैठी है
ये जानते हुए भी
की तुम जा चुके हो
हम कभी वापस ही ना आ पाए
वापस ही ना आ पाए


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15 NOV 2020 AT 23:25

काश तुम्हारी यादों को मिटो
नई जोड़ पाती
इस दिल को संभाल
उसके जख्म भर पाती
उस एहसास को भुल
आगे चल पाती
काश मैं तुम्हें भूल पाती
तुम्हें भूल पाती

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