सितम-ए-ज़िंदगी कुछ इस कदर कर रही,
सुबह मुस्कराकर रात आंसुओं में गुजर रही।-
पूछे जो कोई इश्क़ है?
तो जवाब में जुबां लड़खड़ाए
हां कहूं तो अंजाम पिछला
ना कहूं तो बेवफाई
चल छोड़ ये सवाल जवाब
अब जब तक तू मेरा मैं सिर्फ तेरी
इश्क़ मोहब्बत तो न पता
बस अब से तू ही मेरी रहनुमाई
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ज़िंदगी के उसूल कुछ ऐसे बदले है मैंने,
अब जो जितना मेरा मैं भी उतनी उसकी।
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आंखों की खूबसूरती तो सबने देखी है,
इनके पीछे का राज देखने की फुरसत किसे है?-
बढ़ती नजदीकियों को रोकने के लिए,
तेरा ख्याल अच्छा है।
तेरे संग नजदीकियों ने,
ये अच्छा सबक सिखाया है।-
तबाह कर मेरी नींद को,
कोई तो सुकून से सोया होगा।
मेरे अधूरे ख़्वाब के बदले,
किसी का तो ख़्वाब मुकम्मल हुआ होगा।
फर्क नहीं इन नम आंखों का,
कोई तो खुलकर मुस्कुराया होगा।
मेरी बेरंग ज़िंदगी के बदले,
कोई तो हसीन ज़िंदगी पाया होगा।
इक ओर अकेली मैं, पर
कोई तो हमसफ़र बनने का वादा निभाया होगा।
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दिलों की नजदीकियों को बयां करने वाले,
आज ज़िंदगी से दूरियां बना बैठे है।-
भावनाओं के ज़ख्म को,
प्रेम के मरहम की तलाश है।
बहुत रहे अकेले,
अब सिर्फ़ हमसफर की तलाश है।-
तलब से हासिल तक के सफर में,
बस हौसले का साथ ना छूटे।
फिर कोई मुश्किल ऐसी नहीं,
जो मुझे तुझ तक पहुंचने से रोके।-
तेरी यादें जो मुझमें घर कर गई है,
लाख कोशिश के बावजूद भी जुदा ना हो रही है।
फिर बता तू मुझसे कैसे जुदा हो गया?
क्या मेरी ही कोशिश में कोई कमी रह गई है?
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