आज लगा कि वो दिन फिर से वापस लौट आएंगे
जिन्हें हम कहीं पीछे छोड़ आये थे
जिस कागज और कलम को हम बस्ते में बंद कर आये थे
आज न जाने कहाँ से वो क़लम नजऱ आया हमें उस... कोने में रक्खे बस्ते से बाहर की ओर झांकता हुआ ...
स्याही तो शायद भर कर ही रखि थी मैंने याद नही कुछ मुझको पर हाँ वो मेरा पसंदीदा जरूर था
उसे झांकता हुआ देख रुका तो नहीं गया फिर क्या था बढ़ गए कदम उसकी ओर
उस कोने में रक्खे बस्ते को उठाया फिर उस कलम को निकाल कर उन बीते पलों को महसूस किया
उसे पोंछ कर साफ किया हाथों में लिया आंखें बंद कर सुकून को तलाशा ही था कि कुछ देर बाद किसी ने आवाज लगा दी और फिर से हम उसको वहीं छोड़
बस्ते को उसी कोने में वापस रख
रोज मर्रा की जिंदगी में लग गए अब दिन खत्म हो गया और वो कलम वहीँ उसी बस्ते में एक नए दिन की तलाश में रह गया ....-
I am a deep thinker...writing is my Hobby and I enjoy whi... read more
एक सपना था उन गलियों में
कोई अपना था उन बस्तियों में
चप्पलें थी पैरों में मगर
जूतों से भी तेज दौड़ा था
वजूद था वो मेरा
जो मुझसे जुड़ा करता था ...
दफ़्न है आज वो
पंछी बंद पिंजरे सा
अपनाकर नए मोहल्लों को
वो रह गया किराएदार सा
वजूद था वो मेरा
जो मुझसे जुड़ा करता था ...
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मेरे घर के बाहर आतिशबाजियों का माहौल है
लगता है ईद का चाँद नजर आया है...
ईद का चाँद मुबारक-
सपना देखना अपने ही सिखाते हैं
बाकी सब तो बस नीचा दिखाते हैं
कुछ दूरी जरूर होती है अपनों से
उस सपने को पाने में
पर पूरा करने की जिद्द भी तो
अपनों से ही आती है
दूरियों से अपने नहीं रूठा करते
सपनों से अपने नहीं छूटा करते
पूरा कर सपनों को राही
घर को ही लौटता है
खुशियां वो अपनी नहीं
अपनों की ही सपनों में संजोता है
उम्र निकल जाती है
उन सपनों को पाने में
पूरा कर उन सपनों को
खुशियां अपनों की जुटाने में
आसान नहीं होता दूर
अपनों से रहना
मां की रोटी और आंगन घर का
छोड़ किसी परदेश में बसर करना
तकलीफ उसे भी होती है
वह भी अकेले रोता है
जब भी वो आँखे बंद कर
सपनों में अकेले सोता है...
©झीनी-
हम जिनके करीब थे
वो किसी और के करीब हो गए
और! जो हमारे करीब थे
उनके तो दिल गरीब हो गए...-
For all the women
Sometimes it feels like to being a housewife is a better option than a working wife. As on being a housewife atleast you can expect from your better half while as a working wife everyone expect from you only...-
किसी ने पूछा क्या पाया तुमने अब तक?
न पैसा, न शान-शौखत, न रुतबा, न जलवा, न मोहब्बत, न महफ़िल, न जलसा
मैंने हँस कर कहा- तजुर्बा ...-
एक होती है इज्ज़त
और
दूसरी दिल से इज्ज़त
जो करवाई नहीं जाती
कमाई जाती है ...-