Ritika Rajput   (thepoetrycafe✍️)
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प्रेम की लीला भी बड़ी निराली है।
कहि राधा,तो कहि मीरा "कृष्णा" की दीवानी है।।
Joined 16 June 2019


प्रेम की लीला भी बड़ी निराली है।
कहि राधा,तो कहि मीरा "कृष्णा" की दीवानी है।।
Joined 16 June 2019
26 SEP 2024 AT 23:45

दुःख,दर्द, हसीं,गम सब समेट लेता है एक कवि अपने भीतर,
अपने शब्दों को एक उम्दा कविता बनाने के लिए।

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7 SEP 2024 AT 14:53

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

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5 SEP 2024 AT 10:16

गुरु....
शिक्षा के मन्दिर का ध्यान है जो
हर समस्या का समाधान है जो
जिसके ज्ञान के आगे,
देव भी नतमस्तक हो जाये
ऐसे मनुष्य रूपी भगवान है वो।




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28 NOV 2023 AT 23:02

अपने महबूब से मिले जमाना हुआ,
अब उसका शहर भी मेरे लिए बेगाना हुआ।

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30 SEP 2022 AT 14:21

इस क़दर चुभने लगे हैं सबकी नज़रों को,
कि लोग अब ख़ैरियत भी न पूँछते हमसे।।

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28 SEP 2022 AT 1:04

मुझे चोट पहुँचाने से पहले,एक बार मेरे हाल तो जान लेते!
तुझे क्या पता , कितना उदास था दिल आज!!

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24 SEP 2022 AT 13:48

कम्बख़्त ये इश्क़ भी क्या चीज़ है...
मिल जाये तो निभाया न जाता,
छूट जाए तो रहा न जाता।

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23 SEP 2022 AT 15:42

कुछ न बदला उसके औऱ मेरे दरमियां,
वो अब भी बेपरवाह है पहले की तरह।

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5 SEP 2022 AT 8:36

बिखर कर रह गया हर ख़्वाब मेरा,
अब तो सांस लेने से भी डर लगता है।

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29 AUG 2022 AT 21:47

मैं अक़्सर रातोँ से बातेँ किया करती हूँ,
जब-जब दिल मे खामोशियाँ लिए फ़िरती हूँ।

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