दुःख,दर्द, हसीं,गम सब समेट लेता है एक कवि अपने भीतर,
अपने शब्दों को एक उम्दा कविता बनाने के लिए।-
कहि राधा,तो कहि मीरा "कृष्णा" की दीवानी है।।
गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥-
गुरु....
शिक्षा के मन्दिर का ध्यान है जो
हर समस्या का समाधान है जो
जिसके ज्ञान के आगे,
देव भी नतमस्तक हो जाये
ऐसे मनुष्य रूपी भगवान है वो।
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अपने महबूब से मिले जमाना हुआ,
अब उसका शहर भी मेरे लिए बेगाना हुआ।-
इस क़दर चुभने लगे हैं सबकी नज़रों को,
कि लोग अब ख़ैरियत भी न पूँछते हमसे।।-
मुझे चोट पहुँचाने से पहले,एक बार मेरे हाल तो जान लेते!
तुझे क्या पता , कितना उदास था दिल आज!!-
कम्बख़्त ये इश्क़ भी क्या चीज़ है...
मिल जाये तो निभाया न जाता,
छूट जाए तो रहा न जाता।-
कुछ न बदला उसके औऱ मेरे दरमियां,
वो अब भी बेपरवाह है पहले की तरह।-
मैं अक़्सर रातोँ से बातेँ किया करती हूँ,
जब-जब दिल मे खामोशियाँ लिए फ़िरती हूँ।-