Ritika Gupta   (©️ Ritika Gupta.)
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Joined 12 October 2019


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Joined 12 October 2019
24 MAR 2023 AT 12:15

सुनो,
मुझे तुमसे कुछ कहना है,
पर डरती हूँ कि कहीं तुम कुछ गलत न समझ लो
मुझे तुम्हें बहुत कुछ बताना है,
पर डरती हूँ कि कहीं तुम मेरे बारे में कोई गलत राय न बना लो।
मैं रोना चाहती हूँ ज़ार-ज़ार तुम्हारे गले लगकर,
पर डरती हूँ कि कहीं तुम मुझसे परेशान होकर मुझे छोड़ न दो।
मैं थक गयी हूँ मजबूत बनते-बनते, मैं तुम्हारे सामने कमज़ोर होना चाहती हूँ, पर डरती हूँ कहीं मुझे संभालना तुम्हारे लिए मुश्किल न हो जाए..

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9 FEB 2023 AT 10:34

चली गई ठंड में ठिठुरती जनवरी,
दिल पे दस्तक दे रही है इश्क़ वालों की फ़रवरी..❣

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18 DEC 2022 AT 13:32

सुनो,
जब दीप जले तुम आना
जब शाम ढले तुम आना।
तुम आना लेकर सितारों की चमक,
तुम आना लेकर बहारों की महक।
तुम आना तो आना हमेशा के लिए,
तुम हो जाना मेरे हमेशा के लिए।
तुम मुझमें मिल जाना, मैं तुझमें मिल जाऊंगी,
धीरे-धीरे सारी गिरहों को हम मिलकर सुलझाएंगे
अपने प्रेम के वृक्ष तले, हम सहेज लेंगे सारे रिश्ते
इसकी छांव में हमेशा सांस लेता रहेगा हमारा प्रेम

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12 DEC 2022 AT 14:38

उसकी आंखें,
हाँ, उसकी आँखें ही तो थी, जिनसे
मैं हमेशा उसे पहचान जाया करता था,
उसका चेहरा मैनें कभी देखा ही नहीं,
बस उसकी आँखें ही थी जो उसे सबसे
अलग बनाती थी,
बिल्कुल टिमटिमाते हुए जुगनुओं की तरह।
वो दिखने में बहुत भोली सी थी,
लेकिन आँखें बिल्कुल शैतानी चमक से भरपूर।
कुछ तो अलग था उसकी आँखों में,
चमकती जुगनु सी टिमटिमाती आँखें और
तितली के पंखों की तरह फड़फड़ाती पलकें।।
हाँ उसकी आँखें ही तो थी जो
उसे अलग बनाती थी..

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8 DEC 2022 AT 13:13

सुनो,
सब सही कहते हैं न,
कि सब नज़र- नज़रिये का फ़र्क है,
तुम्हें मैं सुहागन दिखती हूँ, और
मुझे मेरी माँग में मेरे ही अरमानों का खून...

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10 NOV 2022 AT 12:42

Happy birthday Aruandhatee ji..🥳🎂🎂

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6 NOV 2022 AT 14:20

इक आग तुम्हारे भीतर है,
इक आग मेरे भीतर भी ।
तुम जग को रौशन करते हो,
मैं खुद में जलती जाती हूँ।।

सारे जग में तुम पूजे जाते हो,
मैं खुद को कोसती जाती हूँ।
तुम जग को रौशन करते हो,
मैं खुद में जलती जाती हूँ।।

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3 NOV 2022 AT 13:14

हाँ तो हुआ यूँ की,
इक दिन यूँ ही मैनें उससे पूछ लिया-
"मैं तुम्हें पसंद तो हूँ न?"

तो उसने कहा- "मुझे तुम कभी पसंद नहीं थी ।
मगर, मुझे तुम्हारी आँखे बहुत पसंद है , जिनकी चमक का राज़ मैं जान नहीं पाया और न ही इनकी गहराई तक पहुँच पाया।

पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें...✍

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15 OCT 2022 AT 12:00

कर ले गोरी इश्क़ की बातें,
चोरी-चोरी इश्क़ की बातें।
दिल को जिंदा रखती हैं,,
ये थोड़ी-थोड़ी इश्क़ की बातें..💖

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6 OCT 2022 AT 15:17

सुनो बैरी पिया, तू कहे तो,
आ तुझे अपने मन का मीत बना लूँ।
तोड़ दूँ सारे रस्मों-रिवाज़ दुनिया के,
इक तुझे ही मैं एकमात्र रीत बना लूँ।।

चाहे सारे जग से हार जाऊँ मैं,
तुझे अपनी सांची जीत बना लूँ।
सारे धुन को पिरों दूँ मैं प्रेम की तरह
तुझे सबसे अनोखा सँगीत बना लूँ।।

अलग होकर भी रहे सदा इक दूजे के
सारे जग से इतर राधा-कृष्ण सा प्रीत बना लूँ।।

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