Ritik Raj Srivastava   (ऋतिक राज श्रीवास्तव)
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Joined 27 May 2022


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Joined 27 May 2022
19 JUN 2022 AT 0:45

ज़माने के जिस दौर से हम गुज़र रहे हैं,
अगर आप उससे वाकिफ़ नहीं तो मेरे अफ़साने पढ़िए.

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19 JUN 2022 AT 0:38

छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार

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10 JUN 2022 AT 7:01

ये दुख अलग है की उससे मैं दूर हो रहा हूं
ये गम जुदा है वो ख़ुद मुझको दूर कर रहा है,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं मैं ताजा गज़लें,
ये तेरा गम है जो मुझे मशहूर कर रहा है।

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2 JUN 2022 AT 21:05

कर पाओ तो कर लेना इश्क हमारी सादगी से,
क्योंकि सूरत कुछ खास नहीं है हमारी।

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1 JUN 2022 AT 22:09

दुख की घड़ी में सिर्फ घड़ी ही साथ देती है ।

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1 JUN 2022 AT 21:53

सारी दुनिया को Blur करके जिस पर तुम focus रखोगे,
एक दिन वही तुम्हे Crop कर देगा ।

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31 MAY 2022 AT 2:56

दरिया तेरी अब खैर नही,
बूंदो ने बगावत कर ली है।
नादान ना समझ बुजदिल इनको,
लहरो ने बगावत कर ली है।
हम परवाने है। मौत समा,
मरने का किसको ख़ौफ यहाँ,
रे तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बगावत कर ली है।

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30 MAY 2022 AT 19:52

बाबा पुराने दौर की कुछ तो बात बताइए,
ऐसा सुना है... होती थी क़ीमत ज़बान की!

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29 MAY 2022 AT 20:12

ख्वाईश नही है कि पूरी दुनिया मेरी मुरीद हो,
पर जितने भी हो दिल के करीब हो।

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28 MAY 2022 AT 20:53

मैं चाहता तो टांग देता सूरज को तुम्हारे माथे पर बिंदी की तरह,
मगर मैं ज़माने में अंधेरे के खिलाफ हूं। 👍

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