ज़माने के जिस दौर से हम गुज़र रहे हैं,
अगर आप उससे वाकिफ़ नहीं तो मेरे अफ़साने पढ़िए.
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Founder/President:- Akhya Foundation
Student:- Babasaheb Bhimrao Ambedk... read more
छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार
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ये दुख अलग है की उससे मैं दूर हो रहा हूं
ये गम जुदा है वो ख़ुद मुझको दूर कर रहा है,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं मैं ताजा गज़लें,
ये तेरा गम है जो मुझे मशहूर कर रहा है।-
कर पाओ तो कर लेना इश्क हमारी सादगी से,
क्योंकि सूरत कुछ खास नहीं है हमारी।-
सारी दुनिया को Blur करके जिस पर तुम focus रखोगे,
एक दिन वही तुम्हे Crop कर देगा ।-
दरिया तेरी अब खैर नही,
बूंदो ने बगावत कर ली है।
नादान ना समझ बुजदिल इनको,
लहरो ने बगावत कर ली है।
हम परवाने है। मौत समा,
मरने का किसको ख़ौफ यहाँ,
रे तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बगावत कर ली है।-
बाबा पुराने दौर की कुछ तो बात बताइए,
ऐसा सुना है... होती थी क़ीमत ज़बान की!
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ख्वाईश नही है कि पूरी दुनिया मेरी मुरीद हो,
पर जितने भी हो दिल के करीब हो।-
मैं चाहता तो टांग देता सूरज को तुम्हारे माथे पर बिंदी की तरह,
मगर मैं ज़माने में अंधेरे के खिलाफ हूं। 👍
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