ये बेकार के खौफ हैं जिंदगी में गिरने से, जो गिर गए तो क्या होगा —
हां कुछ खरोचें होंगी घुटनों पर, और मरहम तुम्हारा हाथ होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?
कोई पकड़ेगा नहीं हाथ तुम्हें उठाने को, सम्हलते सम्हलते तुम्हें खुद सम्हलना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?
कुछ दिखेंगे फिर हंसते चेहरे तुम्हें, जवाब में- मुंह फेरना तुम्हें होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?
फिर तोड़ेंगे सपने ओर हिम्मत तुम्हारी, नाकामी पर उनकी तुम्हें हंसना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?
चल दोगे तुम फिर मंजिल की ओर, ज़्यादा से ज्यादा गिरोगे, तुम्हें फिर उठना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?
ये बेकार के खौफ हैं जिंदगी में गिरने से, जो गिर गए तो क्या होगा —
हां कुछ खरोचें होंगी घुटनों पर, और मरहम तुम्हारा हाथ होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा।
-
जो स्याही देती है मेरे क़लम को।
मैं कोई शायर नहीं हूं,
मगर क़लम चीख ... read more
बेतुकी बातों में बीत जाने दी जिंदगी की कितनी रातें उसने,
और ये जिंदगी बीत गई कमबख्त नई सुबह के इंतज़ार में।-
कुछ तंग गलियों से होकर निकलता है अक्सर बड़े मंजिलों का रास्ता,
सुनसान और अंधेरी गलियां जो बखूबी तोड़ देती है सपने और हिम्मत,
मतलब कुछ यूं की गर मुश्किलात ना होते तो मंजिले शायद खास ना होती।-
कयामत की शाम आए या कयामत बीत जाए,
मुमकिन है थोड़ा कुछ बचे और बाकी खो जाए,
मगर जाना थोड़ा पीछे तुम समेटना जो बचे,
मुमकिन है ज्यादा 'अच्छा' बचे और थोड़ा 'दर्द' बचे।-
मैं देखता हुं, चलता है ये आसमां हर रोज़ मेरे साथ,
मगर मेरी तो एक मंज़िल है, ऐ आसमां तेरी कहां?-
मेरी शामों को कभी कुछ यूं सुकून मिले -
की हर खलल को सुकून मिले,
बेचैनी को, सवालात को,
और बचे सारे मसलों को सुकून मिले।-
गुजर रही है रोशनी और देखो रात आ रही है,
तुझे भूलने बैठा था मैं और तेरी याद आ रही है।-
ये ध्यान से छिपा लो अपने लफ्जों को किताबो में,
बांट आयेंगे ये व्यापारी इन छंदों को बाजारों में।-
फिजूल ही तुम व्यस्त ठहरे दुनिया की कहानी में,
लिखते गर जो अपनी तुम तो क्या कमाल लिखते।-
चीखें हैं चुप और सन्नाटों में शोर है,
भटकता है राही अरमानों में ज़ोर है,
जुनून में आग रख और अंधेरे में डूब जा
याद रख बात तेरे नाम का कल भोर है।-