Ritik Raj   (रिtiक✍)
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Joined 16 October 2017


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Joined 16 October 2017
5 APR AT 17:28

ये बेकार के खौफ हैं जिंदगी में गिरने से, जो गिर गए तो क्या होगा —
हां कुछ खरोचें होंगी घुटनों पर, और मरहम तुम्हारा हाथ होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?

कोई पकड़ेगा नहीं हाथ तुम्हें उठाने को, सम्हलते सम्हलते तुम्हें खुद सम्हलना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?

कुछ दिखेंगे फिर हंसते चेहरे तुम्हें, जवाब में- मुंह फेरना तुम्हें होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?

फिर तोड़ेंगे सपने ओर हिम्मत तुम्हारी, नाकामी पर उनकी तुम्हें हंसना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?

चल दोगे तुम फिर मंजिल की ओर, ज़्यादा से ज्यादा गिरोगे, तुम्हें फिर उठना होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा?

ये बेकार के खौफ हैं जिंदगी में गिरने से, जो गिर गए तो क्या होगा —
हां कुछ खरोचें होंगी घुटनों पर, और मरहम तुम्हारा हाथ होगा,
मगर जो होगा बस इतना ही होगा, बताओ इससे ज्यादा क्या होगा।

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2 AUG 2024 AT 11:13

बेतुकी बातों में बीत जाने दी जिंदगी की कितनी रातें उसने,
और ये जिंदगी बीत गई कमबख्त नई सुबह के इंतज़ार में।

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1 AUG 2024 AT 14:29

कुछ तंग गलियों से होकर निकलता है अक्सर बड़े मंजिलों का रास्ता,
सुनसान और अंधेरी गलियां जो बखूबी तोड़ देती है सपने और हिम्मत,
मतलब कुछ यूं की गर मुश्किलात ना होते तो मंजिले शायद खास ना होती।

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22 JUN 2024 AT 19:46

कयामत की शाम आए या कयामत बीत जाए,
मुमकिन है थोड़ा कुछ बचे और बाकी खो जाए,
मगर जाना थोड़ा पीछे तुम समेटना जो बचे,
मुमकिन है ज्यादा 'अच्छा' बचे और थोड़ा 'दर्द' बचे।

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21 JUN 2024 AT 9:33

मैं देखता हुं, चलता है ये आसमां हर रोज़ मेरे साथ,
मगर मेरी तो एक मंज़िल है, ऐ आसमां तेरी कहां?

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25 AUG 2023 AT 11:55

मेरी शामों को कभी कुछ यूं सुकून मिले -
की हर खलल को सुकून मिले,
बेचैनी को, सवालात को,
और बचे सारे मसलों को सुकून मिले।

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16 OCT 2022 AT 18:14

गुजर रही है रोशनी और देखो रात आ रही है,
तुझे भूलने बैठा था मैं और तेरी याद आ रही है।

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6 AUG 2022 AT 23:55

ये ध्यान से छिपा लो अपने लफ्जों को किताबो में,
बांट आयेंगे ये व्यापारी इन छंदों को बाजारों में।

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5 AUG 2022 AT 12:00

फिजूल ही तुम व्यस्त ठहरे दुनिया की कहानी में,
लिखते गर जो अपनी तुम तो क्या कमाल लिखते।

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4 AUG 2022 AT 16:12

चीखें हैं चुप और सन्नाटों में शोर है,
भटकता है राही अरमानों में ज़ोर है,
जुनून में आग रख और अंधेरे में डूब जा
याद रख बात तेरे नाम का कल भोर है।

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