इक नदी तिश्नगी के अंदर है,
जी... रवानी सभी के अंदर है
एक लड़की उड़ा रही है पतंग,
आसमां ख़ुद उसी के अन्दर है
ये ज़मीं.. कहकशाँ की एक गली,
कहकशाँ इक गली के अन्दर है
जैसे गुड़िया में बंद हो गुड़िया,
ख़ामुशी ख़ामुशी के अन्दर है-
कुछ खरोंचे छुपा के रखे है,
उस बिछड़े यार के,
कुछ जख्म भरने बचे है,
उस आख़िरी एतबार के,
एक ऐसी कफस के कैदी है,
कुछ गुलशन बहार के,
मेरी मिला खाक में इज्जत,
आप तो चले अपनी छवि सुधार के।-
फैसलों से करार कर,
तुम्हे छोड़ने आया हूं।
हसरतों को बेबाक सुलाकर,
तेरे सामने दम तोड़ने आया हूं,
किस्मत आजमा कर अपनी मैं,
मुसलसल अब सर नोचने आया हूं,
उस बुझी सी आग मे आज,
फिर खुद को झोंकने आया हूं ।
टूटा जो कांच था उस दिन मेरा,
किस चीज से अब जोडूं मैं,
सुनसान सड़क में अब तो,
कोई तो मोड़ मोङू मैं,
किस्सों से बंधे अब,
हर फंदे को तोडूं मैं,
टूटे से उस घर का अब,
कौन सा कमरा छोडूं मैं।
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काश और शायद की जंग चल रही है,
मैं आज भी दोनो से हार रहा हूं,
अजीब है ना जंग किसी और की,
और पीड़ित बन मैं हार रहा हूं।
ये आसपास के लोग मुझे,
डराने पे लगे है क्या,
बहक के खो जाऊंगा मैं,
यही चाहते है क्या,
चिढ़न हो रही है हर बात में,
ये मुझे नोच खाएंगी,
रात मेरे आसुओं तक को,
ना पोंछ पाएंगी,
नाजुक सा भार होगा,
मैं मान लेता हूं,
पर उतारने वाले ही नहीं मिले,
यही जान लेता हूं।
-
किन ही तकाजों में तौलूं तुम्हे,
क्या हिसाब दूं अब उन लम्हों का,
मैं तो उस पथिक की तरह,
तुम्हारी राहों की उम्मीद में चल रहा हूं।
मैं तो उस ज्योतिष की भांति,
सितारों में अपनी किस्मत तलाश रहा हूं,
बताता तुमको की ताकते है देर तलक उस पंखे को,
हर खयाल से वाबस्ता कैसे है तुम्हारा यही सोचता हूं।
उलझनों से लिपटा रहता हूं हर उस वक्त पर,
जब रूठा हुआ सा महसूस भर तू होता है,
पूछा था ना की क्या अंतर है अगर मैं न हूं तो,
अब बताना तो चाहता हूं की कभी कभी,
एक इंसान का न होना ही कायनात का अधूरा होना होता है।
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मेरे आंगन में जो आई वो हवा हो तुम,
मेरे हर कष्टों की दवा हो तुम,
रात भर सोचता रहा जिसकी आखों को सोचकर,
उसी की एक झलक की सुबह हों तुम।
यूं तो बदनाम है काफी चीज़े मदहोशी वाली,
पर जो छूने से चढ़ जाए वो नशा हो तुम।
लिख लिख कर भी अल्फाज मेरे कम नही हो रहे,
जो चाहता रहूं हमेशा वो चेहरा हो तुम।-
बिखरती रही यूं जिंदगी भी,
टूट टूट कर...
रोया मैं भी हालातों के सामने भी,
मैं फूट फूट कर...
आग लगाकर सपनों को,
और हसरतों को भी मारा है...
कुछ इस तरह से मैने,
मोल उम्मीदों का उतारा है...
कुछ बेच दी जवानी,
और भरम था वो बचपन भी,
हर चीज़ को थोड़ा समझकर,
समेट ली वो ख्वाहिश भी...
कई कारण थे मेरी उम्मीद टूटने के,
पर दिल अब भी एक आस ढूंढ रहा हूं...
जल उठे मेरी भी आशाओं का दिया,
मैं उसी दिन को तलाश रहा हूं।
-
कुछ मशवरों में हमको बुलाया नही गया,
तो कुछ हमने खुद से ही कर लिए।
असल मे कुछ बातें हमेशा हमारी उस
बैकस्पेस वाले बटन के नीचे ही कहीं
छुप जाती है जिन्हे कहना तो बोहत चाहा हमने
पर उस अनजान से डर ने हमे कभी उससे
भेजने के लिए नही कहा।
तो अगली बार भेज देना वो संदेश जो
शायद बुरा लग जरूर जाए पर
वो बोझ जो न भेज पाने का रह जाता है,
वो मलाल ना रह जाए जो हमेशा से दिल में लिए
तुम घूम रहे हो!
-
Dreams comes true!
हां कहने सुनने में तो,
बहुत अच्छा लगता है,
की पूरे हों जायेंगे,
वो सारे सपने जो,
तुमने कभी देखे थे।
पर उन सपनों का क्या,
जो जिंदगी के हर पहर के साथ ही,
उस मिट्टी के भांति फिसल गए,
जिसको समेटना तो बहुत चाहते थे,
पर मुट्ठी हमेशा उन ख्वाहिशों के आगे छोटी ही रही।
हां मैंने वक्त के दरख्तो पर देखा है,
की ख्वाहिशों और सपनों का आना,
अपने आप में एक खुशहाल क्रिया है,
पर उनको पूरा न कर पाने का दुख,
उस भी ज्यादा दुखदाई है।-
Mukaam ke talash me nirash ho,
Toh laut aana..
Thaama nhi haath tumhara kisi ne,
Toh laut aana..
Bheed me akela lagne lage,
Toh laut aana..
Tanhayi me fas gaye ho,
Toh laut aana..
Chot gehri lag gayi ho,
Toh laut aana..
Marham liye baitha hoon main,
Tumhare hi intezaar me...
Main uss vriksh ke tarah baitha hoon,
Basant ke intezaar me...-