रुके हुए से कदम और झुकी हुईं आँखें,
इस मनः स्थिति को भला कौन जाने।
पूछ लिया करो समय पर हालात सभी का,
जिन्दगी से कौन कब रुख़सत हो-ले,
ये तो बस वो ईश्वर ही जाने।।-
मुझे इंतजार नहीं है किसी छांव का,
मैंने धूप में भी अपना घर बनाया है।
मुझे छोड़ दो मुसीबत में, ये तुम्हारी मर्जी,
मैंने शिकायत होने पर भी, हर रिश्ता निभाया है।।-
था कुसूर कुछ मेरा भी,
जो तुझ पर जान छिड़कता था,
मैं मरता क्या न करता,
सुबह शाम जो तुझको पढता था,
हो रही थी गुज़र, जो तेरे बिन,
राही, तुझको इस सफर पर न चलना था।-
"तोड़" के जैसे ही इक फूल को,
मैंने अपने सीने से लगाया,
चुभा एक काँटा मेरे और
उसे मुरझा हुआ सा पाया,
तभी एक सवाल ज़हन में मेरे घिर आया,
कि ज्यादा नजदीकियाँ बढ़ाओगे,
तो हमेशा दुःख ही तो पाओगे,
बताओ अगर दूर ही रहोगे,
फिर खुशबु कैसे अनुभव कर पाओगे?
तो न दूरियाँ ही बढानी हैं,
और न नजदीकियाँ ही,
सबका एक स्थान निश्चित है,
वहीँ से अभिवादन कर जाना है,
प्रकृति का मात्र यही सन्देश,
हमें जन जन तक पहुँचाना है।-
रास्ते के हर एक काटें को
तूने खुद में चुभो रखा है,
हे पथिक तूने अपना क्या हाल कर रखा है,
नमन है तेरे इस उत्साह और जज्बे को,
गिरने के बाद भी विजय पताका जो थाम रखा है।-
क्यों न ऐसा कोई काम हो जाए,
माँ-पिता का नाम रौशन हो जाए।
रखकर नज़र सिर्फ अपने लक्ष्य पर,
सफलता का गान सरे आम हो जाये।।-
मेरी मुसीबतों में मिलता, एक सहारा हो तुम,
तुफान नहीं, समुन्दर का किनारा हो तुम,
कुछ वक़्त बैठ जाऊं तुम्हारे पहलु में, या फिर जाने दूँ,
सही वक़्त पर आया कोई मनचाहा, ख्वाब प्यारा हो तुम...-
है ज़िन्दगी का सफर इक-कदम दो-कदम,
थोड़ी ख़ुशी और थोड़े गम हैं सबके हिस्से,
बस धैर्य रखो सही समये आने तक,
वो दिन दूर नहीं जब हो जायेंगे तुम्हारे भी किस्से..-
Ye waqt ki maang hai ya teri koi pukaar hai,
Jo bhi ho ab mujhe sab aswikaar hai,
Vaise toh tere paas mere liye waqt nahi tha kabhi,
Phir aaj jab zindagi ki neend soya hun,
Toh tujhe kyun mere uthne ka intezaar hai...-