Ritik Agrawal   (Writer_R)
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Joined 2 August 2020


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22 JUL AT 12:46

Dear My Love..❤️

Tum jo thaam lo haath mera main har ghum se nikhar jaaunga
ek tumhari baaho'n ke siwa batao main aakhir kidhar jaaunga?
Tum jo rakh do meri godh main sar apna tumhari khaatir saari duniyaa se ladh jaaunga
juda na hona kabhi kisi modh par mujhse mujhe dar hai main jeete jee mar jaaunga
itne halke main na liya karo tum mere ishq ko ek tarfa hee sahi main har hadd se guzar jaaunga
par tum jo thaam lo haath mera main barbaad hone se phle shayad sambhal jaaunga!!

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17 MAY AT 12:53

चेहरे पर आंसू और आंखों में नमी है यूं तो सब कुछ है आज मेरे पास मगर बस तुम्हारी कमी है।

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10 MAY AT 12:03

जो सबको सँभालने की कोशिश कर रहा हो
उसको संभालना हर कोई भूल जाता है....!!

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18 APR AT 13:16

मांग में सिंदूर चाहे न भर सकूं
प्रेम के स्पर्श से सुहागन बनाऊंगा
अर्द्धांगिनी रहोगी तुम ही मेरी
मैं न अब किसी और को अपनाऊंगा!

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12 JAN AT 21:52

आते हैं आज मंहगे,कल सस्ते भी आएंगे
कभी चल कर तेरे क़रीब,रस्ते भी आएंगे

न हो ग़मज़दा इन पतझड़ों से ए - बागवां
बची हैं गर शाखें,तो फिर से पत्ते भी आएंगे

समय का चक्र तो घूमेगा अपने हिसाब से
आये हैं बुरे दिन,तो कभी अच्छे भी आएंगे

न हो उदास देख कर वीरानगी गुलशन की
परिंदे बनाने घर अपना,फिर से भी आएंगे

न छोड़िये विटप की परवरिश का सिलसिला
आज आये हैं फल खट्टे,कल मीठे भी आएंगे

ज़िन्दगी के इस मेले में आएंगे लोग कैसे कैसे
गर आएंगे कभी शातिर,तो फ़रिश्ते भी आएंगे।

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26 NOV 2024 AT 14:14

मुर्शीद मैंने अपने गले की चैन तक बेच डाली
इक दफ़ा उसने कहाँ था सुनो मुझे कानों की बाली बहुत पसंद हैं।

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18 SEP 2024 AT 0:25

दिल के टूटने की गालिब आवाज नहीं आती,मुहब्बत हर किसी को रास नहीं आती,फकत हमारी ही किस्मत खराब है मुर्शीद हम उन्हें भूलते नहीं और उन्हें हमारी याद आती नहीं।

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31 AUG 2024 AT 0:15

वो लफ्ज कहां से लाऊं मुर्शीद जिन्हे पढ़कर लोगो की दीद मिले, ए - गालिब अब वो लोग ही पराये हो गए जो मेरे अल्फाजों को पढ़कर वाह - वाह किया करते थे।

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30 AUG 2024 AT 20:30

ना जीत सका ना हार सका,तुझे किसी और पर ना वार सका,नाम जुड़ा तेरे नाम के साथ किसी और का,ना जी सका ना ही मैं ख़ुद को मार सका...💔

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30 AUG 2024 AT 1:06

गालिब जब रास्ता ए - तबाही मालूम हो तो पैरो को लड़खड़ाने की इजाजत नहीं दी जाती,
मुर्शीद जब पता है मिलकर बिछड़ना ही किस्मत है तो भी महबूब को चाहने मैं कमी नहीं की जाती।

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