जो सबको सँभालने की कोशिश कर रहा हो
उसको संभालना हर कोई भूल जाता है....!!-
मोहब्बत से मिले गम को,हम अल्फाजों में ... read more
मांग में सिंदूर चाहे न भर सकूं
प्रेम के स्पर्श से सुहागन बनाऊंगा
अर्द्धांगिनी रहोगी तुम ही मेरी
मैं न अब किसी और को अपनाऊंगा!-
आते हैं आज मंहगे,कल सस्ते भी आएंगे
कभी चल कर तेरे क़रीब,रस्ते भी आएंगे
न हो ग़मज़दा इन पतझड़ों से ए - बागवां
बची हैं गर शाखें,तो फिर से पत्ते भी आएंगे
समय का चक्र तो घूमेगा अपने हिसाब से
आये हैं बुरे दिन,तो कभी अच्छे भी आएंगे
न हो उदास देख कर वीरानगी गुलशन की
परिंदे बनाने घर अपना,फिर से भी आएंगे
न छोड़िये विटप की परवरिश का सिलसिला
आज आये हैं फल खट्टे,कल मीठे भी आएंगे
ज़िन्दगी के इस मेले में आएंगे लोग कैसे कैसे
गर आएंगे कभी शातिर,तो फ़रिश्ते भी आएंगे।-
मुर्शीद मैंने अपने गले की चैन तक बेच डाली
इक दफ़ा उसने कहाँ था सुनो मुझे कानों की बाली बहुत पसंद हैं।-
दिल के टूटने की गालिब आवाज नहीं आती,मुहब्बत हर किसी को रास नहीं आती,फकत हमारी ही किस्मत खराब है मुर्शीद हम उन्हें भूलते नहीं और उन्हें हमारी याद आती नहीं।
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वो लफ्ज कहां से लाऊं मुर्शीद जिन्हे पढ़कर लोगो की दीद मिले, ए - गालिब अब वो लोग ही पराये हो गए जो मेरे अल्फाजों को पढ़कर वाह - वाह किया करते थे।
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ना जीत सका ना हार सका,तुझे किसी और पर ना वार सका,नाम जुड़ा तेरे नाम के साथ किसी और का,ना जी सका ना ही मैं ख़ुद को मार सका...💔
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गालिब जब रास्ता ए - तबाही मालूम हो तो पैरो को लड़खड़ाने की इजाजत नहीं दी जाती,
मुर्शीद जब पता है मिलकर बिछड़ना ही किस्मत है तो भी महबूब को चाहने मैं कमी नहीं की जाती।-
मेरी कब्र पर मत आना ए-मुर्शीद
फकत मैने जिंदगी को गवा कर मौत को चुना है ।-
गालिब ईश्वर ने सब कुछ दिया नाम,इज्जत,शोहरत,पैसा गर कुछ नही दिया तो वो था तुम्हारा प्यार।
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