Ritesh Singh   (रितेश 'धरतीपुत्र')
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Joined 23 November 2018


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7 SEP 2023 AT 11:13

न मैं लिखता हूँ ख़ुशी और ग़म के लिए,
न लिखता हूँ किसी दुनियावी सनम के लिए,
मेरे हाथ में ये स्याही भरी इक कलम है,
तो मैं लिखता हूँ इसी कलम के लिए।

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29 JUN 2023 AT 7:32

दूध पीने के बाद गायों को गौशालाओं में छोड़ना ठीक वैसा ही है
जैसे बुढ़ापे में अपने माँ-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ना।

भैंस और भाई (बछड़े) तो सीधे कटने जाते हैं।

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25 JUN 2023 AT 13:11

समाज आज जनसंख्या वृद्धि से
अनेकों समस्याओं से जूझ रहा है,
और यही समाज बच्चा न करने पर
नाक में दम भी करता है,
समाज की विक्षिप्तता का
यह तो केवल एक उदाहरण है;
सूची लम्बी है।

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25 JUN 2023 AT 10:18

झूठ के फूल सुंघाने से कहीं बेहतर है
कि मैं तुम्हें सच के काँटे चुभाकर लहूलुहान कर दूँ,
इसी में तुम्हारी भलाई है।
सच के काँटों से लहूलुहान कर तुम्हारे भीतर से
दूषित रक्त कोशिकाएँ बाहर कर देना चाहता हूँ
ताकि तुम्हारे भीतर स्वस्थ रक्त कोशिकाएँ
पैदा हो सकें।

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24 JUN 2023 AT 7:50

जीवन ऐसा जियो कि सत्यनिष्ठों के हृदय में बिगुल बजा दो
और पाखंडियों, अधर्मियों के छक्के छुड़ा दो, होश उड़ा दो!
तुम्हारा जीवन मानवों के लिए मिसाल हो!
तुम्हारा जीवन मानवरूपी दानवों का काल हो।

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22 JUN 2023 AT 12:27

आध्यात्मिक ज्ञान लेने पर भी जीवन न बदलना
ठीक वैसा ही है जैसे ऊँची शिक्षा लेकर घर बैठना।

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22 JUN 2023 AT 9:55

ख़ुद को आइंस्टीन और एडिसन समझने वाले भी
धर्म और अध्यात्म में शेखचिल्ली बन घूमते रहते हैं।

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16 JUN 2023 AT 10:02

माँ पूछती हैं
ये खा लोगे न?
सुंदर बहू तो ला दोगे न?
पिताजी पूछते हैं
पैसे की कोई समस्या?
नाक तो नहीं कटाओगे न?

भाई पूछता है
कितना पैसा है तुम्हारे पास
अय्याशी तो कराओगे न?
बहन तो माँ ही बन जाती है लगभग
अपने पर ही प्रश्नवाचक चिन्ह लगाती है,
और ये समाज पूछता है
कुँवारे तो नहीं मर जाओगे न?
बारात तो कराओगे न?

कोई ये नहीं पूछता
मरने से पहले जी तो
जाओगे न?

मैं मरने से पहले जीना चाहता हूँ,
और तुम सबको जीवन देना चाहता हूँ!
चलो मिलकर जीते हैं हम!
एकदूसरे पर चढ़कर जीने में क्या मज़ा?

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15 JUN 2023 AT 15:43

इंसान इतना बद्नीयत है,
कि अगर उससे ठहरकर
अपने जीवन का अवलोकन
करने को कहो
तो कहता है:

घर-बार छोड़ दें?
काम करना छोड़े दें?
खाना छोड़ दें?
कपड़े पहनना छोड़े दें?
पेड़ के नीचे बैठकर साधना करें?

अवलोकन के नाम भर से ही
तुम्हारी बनाई दुनिया
ध्वस्त हो जाती है,

वाह!!

सच में तुम वही हो
जिसे बोधवान कहा गया है?

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13 JUN 2023 AT 13:46

जो अपने काम से पैसे के अलावा
और कुछ नहीं कमाते
उनकी स्थिति बहुत दयनीय है।

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