ये कहानी है उस सुनहरी शाम की ,
गुलामी से आजादी की तरफ हुए प्रस्थान की ,
15 अगस्त के आहवान की ,
और वीरों के बलिदान की ,
ये कहानी है 14 अगस्त की शाम की ,
सबके दिलों में खुशी की लहर थी ,
आखिर 150 साल बाद हुई यह पहर थी ,
सब देश को आगे बढ़ाने की चर्चा में लगे थे ,
सब आजादी के रंग में रंगे थे ,
फिर , अचानक एक लहर उठी ,
हिंदु - मुस्लिम के बीच कहर उठी ,
अचानक धर्म का मुद्दा कहा से उठ आया ,
जो देश को टुकड़ों में बांट आया ,
परिणाम , इन्सानियत आपस में मरने लगी ,
ख़ून से सनी रेल चलने लगी ,
कैसे ये सुनहरी शाम खूनी शाम बन गई ,
और धर्मों के आगे इन्सानियत बदनाम हो गई ।
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भगवान हो तुम , फरिश्ता हो तुम ,
दुनिया का सबसे सुंदर रिश्ता हो तुम ,
मैं राही तो रास्ता हो तुम ,
जो बयां ना कर सकू वो दास्तां हो तुम ,
मैं किताब तो बस्ता हो तुम ,
मैं अकेला तो दस्ता हो तुम ,
मैं आम तो बड़ी हस्ती हो तुम ,
मैं डुबू तो कश्ती हो तुम ,
मैं उदास तो मस्ती हो तुम ,
मैं महंगा खुद सस्ती हो तुम ,
मैं कलम तो तख्ती हो तुम ,
मेरी हर अच्छी-बुरी खबर रखती हो तुम ,
इस शायर का आसमान हो तुम ,
ऋतेष की कलम की कमान हो तुम ,
तुम और कोई नहीं ,
मेरी मां हो तुम।
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क्योंकि मैं मजदूर हूं ,हालातों से मजबूर हूं ,
ग़रीबी का शिकार हूं ,अर्थव्यवस्था का हथियार हूं ,
ऊंची इमारतों की दरकार हूं ,निर्माण कार्य में औजार हूं ,
अनजाना सा किरदार हूं ,जो दिखाया न जाता वो समाचार हूं ,
कहीं सफाईकर्मी कहीं चौकीदार हूं ,जो जिम्मेवारी से निभाये वो जिम्मेदार हूं ,
बेरोजगारी से लाचार हूं ,जीने का तो मैं भी हकदार हूं ,
क्योंकि मैं मजदूर हूं , हालातों से मजबूर हूं ।।
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महिलाएं हारी नहीं उन्हें गया हराया ,
लोग क्या कहेंगे , यह कहकर डराया ,
लड़की है तूं , यह कहकर दबाया ,
खेलने की उम्र में , झाड़ू पौछा थमाया ,
पढ़ाई की उम्र में , घर में बैठाया ,
18 की उम्र हुई नहीं कि , मंडप सजवाया ,
फिर कहते हैं ,
क्यों आज तक किसी लड़की ने इतिहास नहीं रचाया !-
मैं उस देश का वासी हूं ,
जहां हर दिल का दिल से नाता है ,
कुछ और ना आता हो हमको ,
हमें प्यार निभाना आता है ,
हूं मैं उस देश का वासी जहां
हर घर में मेहमान को पूजा जाता है ,
और जहां आज भी पत्थरों में भगवान को खोजा जाता है ,
हूं मैं उस देश का वासी जहां
हर खुशी को मिलकर मनाया जाता है ,
यह जाति का भेद तो कुछ लोगों ने किया ,
नहीं तो यहां मुसलमान दिवाली और हिंदू ईद मनाता है ,
हूं मैं उस देश का वासी
जहां हर चौक पर कोई दंगा रहता है ,
हर रोज किसी नेता का नया पंगा रहता है ,
ऐसे दौर में भी
हर दिल में तिरंगा रहता है...🇮🇳🇮🇳
अतः
कहते जिसको सारे जहां से अच्छा वह हिंदुस्तान है मेरा ,
अगर आएगी इस पर कोई आंच तो मस्तक भी कुर्बान है मेरा...
🇮🇳♥️🇮🇳♥️
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
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भगवान हो तुम , फरिश्ता हो तुम ,
दुनिया का सबसे सुंदर रिश्ता हो तुम ,
मैं राही तो रास्ता हो तुम ,
जो बयां ना कर सकू वो दास्तां हो तुम ,
मैं किताब तो बस्ता हो तुम ,
मैं अकेला तो दस्ता हो तुम ,
मैं आम तो बड़ी हस्ती हो तुम ,
मैं डुबू तो कश्ती हो तुम ,
मैं उदास तो मस्ती हो तुम ,
मैं महंगा खुद सस्ती हो तुम ,
मैं कलम तो तख्ती हो तुम ,
मेरी हर अच्छी-बुरी खबर रखती हो तुम ,
इस शायर का आसमान हो तुम ,
ऋतेष की कलम की कमान हो तुम ,
तुम और कोई नहीं ,
मेरी मां हो तुम...............।।
♥️ Maa ♥️-
वो बरसात ही ऐसे आई ,
कि बंजर में भी गुलाब उगा दिए ,
और इश्क़ की बाढ़ भी ऐसे आई ,
कि दिलजले भी मोहब्बत में डूबा दिए...-
दर्दो को सीने में दबाए बैठा हूं ,
नतीजा मालूम है
फिर भी दिल लगाए बैठा हूं...-
इस तन्हाई के बगीचे में
छांव तलाश रहा हूं ,
इश्क में डूबा हूं
कहीं नांव तलाश रहा हूं...-
जानता जिससे ये जग मुझको वो पहचान है पिता ,
खुदा का सबसे अच्छा वरदान है पिता ,
मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता ,
सारे घर की शान है पिता ,
मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता ,
मेरी दिल की धड़कन मेरी जान है पिता ,
मेरी शोहरत मेरा मान है पिता ,
मेरे अरमानों का आसमान है पिता ,
मेरे सपनों की उड़ान है पिता ,
निस्वार्थ प्रेम की पहचान है पिता ,
अतः
खुदा के समान है पिता....
ऋतेष शर्मा
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