ये कहानी है उस सुनहरी शाम की ,
गुलामी से आजादी की तरफ हुए प्रस्थान की ,
15 अगस्त के आहवान की ,
और वीरों के बलिदान की ,
ये कहानी है 14 अगस्त की शाम की ,
सबके दिलों में खुशी की लहर थी ,
आखिर 150 साल बाद हुई यह पहर थी ,
सब देश को आगे बढ़ाने की चर्चा में लगे थे ,
सब आजादी के रंग में रंगे थे ,
फिर , अचानक एक लहर उठी ,
हिंदु - मुस्लिम के बीच कहर उठी ,
अचानक धर्म का मुद्दा कहा से उठ आया ,
जो देश को टुकड़ों में बांट आया ,
परिणाम , इन्सानियत आपस में मरने लगी ,
ख़ून से सनी रेल चलने लगी ,
कैसे ये सुनहरी शाम खूनी शाम बन गई ,
और धर्मों के आगे इन्सानियत बदनाम हो गई ।
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